नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व और स्थान माना गया है। ऐसी मानयता है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करने से मां दुर्गा की असीम करिअप बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि का वास स्थापित होता है। कन्या पूजन करने की शुभ तिथि अष्टमी और नवमी है। नवरात्रि की अष्टमी या नवमी पर किया गया कन्या पूजन 1000 अखंड यज्ञों के बराबर का पुण्य प्रदान करता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल चैत्र नवरात्रि में कब होगा कन्या पूजन, क्या है कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और इस दौरान कौन से नियमों का पालन करना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि में नवमी तिथि 6 अप्रैल, रविवार को पड़ रही है, जो नवरात्रि का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन करते हैं और उन्हें भोज कराते हैं। कन्या पूजन के साथ-साथ एक बटुक भैरव को भी पूजा में शामिल किया जाता है। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 05 अप्रैल 2025 को रात 07:26 बजे से शुरू होकर 06 अप्रैल 2025 को रात 07:22 बजे तक रहेगी। इस दिन कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त 11:58 बजे से लेकर 12:49 बजे तक रहेगा, जिसे पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
साल 2025 में चैत्र नवरात्रि के दौरान अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन बहुत से लोग कन्या पूजन करते हैं, जिसमें कुंवारी छोटी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस वर्ष अष्टमी तिथि 5 अप्रैल, शनिवार को पडे़गी। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल 2025 को रात 8:12 बजे से शुरू होकर 5 अप्रैल 2025 को रात 7:26 बजे तक रहेगी। इस दिन कन्या पूजन का अभिजित मुहूर्त 11:59 बजे से लेकर 12:49 बजे तक रहेगा, जिसे विशेष रूप से पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
कन्या पूजन करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पूजा में भाग लेने वाली कन्याओं की आयु 2 से 10 वर्ष के बीच हो और उनकी संख्या 9 हो। शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन से एक दिन पहले सभी कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण देना चाहिए। कन्या पूजन के दौरान एक बटुक को भी अवश्य बुलाना चाहिए, यानी एक लड़का बटुक के रूप में कन्याओं के साथ होना चाहिए, और उसकी पूजा करके उसे भी भोजन कराना चाहिए।
कन्या पूजन करते समय यह सुनिश्चित करें कि कन्याओं और बटुक को भोजन खिलाने की जिद न करें, बल्कि उन्हें उनके मन से जितना खाएं उतना ही खाने दें। पूजा के दौरान कन्याओं और बटुक को घर की पूर्व दिशा में बैठाना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद, कन्याओं और बटुक को दक्षिणा अवश्य दें, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दक्षिणा में किसी वस्तु को दें, धन नहीं देना चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
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