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Bhogi Pongal Kab Hai 2024: इस साल कब मनाया जाएगा भोगी पोंगल, क्या है इस पर्व का महत्व

Bhogi Pongal 2024: दक्षिण भारत में पोंगल का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व की शुरुआत भोगी पोंगल के साथ होती है। भोगी पोंगल के दिन लोग भगवान इंद्रदेव की पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-01-15, 11:45 IST

पोंगल पर्व दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार है। मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही यह त्योहार भी नई फसल और खेती से जुड़ा हुआ है। पोंगल को आस्था और संपन्नता से जोड़कर मनाया जाता है। यह त्योहार प्रत्येक साल सूर्य के उदय होने पर 4 दिनों तक मनाया जाता है। इन चार दिनों का अलग-अलग नाम है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल वहीं चौथे दिन को कन्या पोंगल कहते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार में जानते हैं कि भोगी पोंगल को क्यों मनाया जाता है और इस दिन क्या-क्या होता है।

जानें कब मनाया जाएगा भोगी पोंगल (Bhogi Pongal Kab Hai 2024)

Bhogi Pongal  Date and muhurat)

पोंगल पर्व इस साल 15 जनवरी से शुरू होकर 18 जनवरी तक मनाया जाएगा। पोंगल के पहले दिन यानी 15 जनवरी को भोगी पोंगल मनाया जाएगा। इस दिन लोग भगवान इंद्र की पूजा अर्चना करते हैं।

जानें भोगी पोंगल का महत्व (Significance of Bhogi Pongal 2024)

साउथ इंडिया में मनाए जाने वाले पोंगल पर्व की शुरुआत भोगी पोंगल (गंगा दशहरा व्रत कथा) के साथ होती है। यह दिन भगवान इंद्रदेव को समपर्ति होता है। भोगी पोंगल को इंद्र पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन अच्छी सफल और अच्छी बारिश के लिए भगवान इंद्रदेव की पूजा कर प्रसन्न किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इंद्र की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि और खुशी आती है। भोगी पोंगल के दिन से तमिल के नए वर्ष की शुरुआत होती है।

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जानें भोगी पोंगल के पीछे की पौराणिक मान्यता (Bhogi Pongal 2024 Mythological Story) 

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पौराणिक मान्यता के अनुसार,  इन्द्र देव को भोग-विलास में मस्त रहने वाला देवता माना जाता है, इसलिए इस दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है। इस दिन शाम के समय लोग अपने-अपने घरों से पुराने कपड़े और कूड़े को एक जगह पर इकट्ठा करके जलाते हैं। यह कार्य ईश्वर के प्रति सम्मान और बुराई के अंत को दर्शाता है। इस आग के इर्द-गिर्द युवा रात भर भोगी कोट्टम बजाते हैं। यह वाद्य यंत्र भैस की सिंग का बना एक प्रकार का ढोल होता है।

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जानें क्या होता है भोगी पोंगल के दिन

भोगी पोंगल के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान (गंगा से जुड़े तथ्य) कर भगवान इंद्रदेव की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करके सामानों को घर से बाहर करते हैं। घर में मौजूद सभी चीजों की साफ-सफाई की जाती है। उसके बाद चावल के आटे से बने पेस्ट से घर को सजाते हैं। घर के आंगन व मुख्य द्वार पर कोलम बनाया जाता है। इसके बाद, जहां कोलम बनी होती है वहां पोंगल तैयार किया जाता है। शाम के समय लोग इकट्ठा होकर भोगी कोट्टम बजाते हुए लोकगीत गाते हैं। साथ ही, एक-दूसरे को बधाइयां देते और मिठाइयां खिलाते हैं।

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 Image Credit- freepik

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