पोंगल पर्व दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार है। मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही यह त्योहार भी नई फसल और खेती से जुड़ा हुआ है। पोंगल को आस्था और संपन्नता से जोड़कर मनाया जाता है। यह त्योहार प्रत्येक साल सूर्य के उदय होने पर 4 दिनों तक मनाया जाता है। इन चार दिनों का अलग-अलग नाम है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल वहीं चौथे दिन को कन्या पोंगल कहते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार में जानते हैं कि भोगी पोंगल को क्यों मनाया जाता है और इस दिन क्या-क्या होता है।
पोंगल पर्व इस साल 15 जनवरी से शुरू होकर 18 जनवरी तक मनाया जाएगा। पोंगल के पहले दिन यानी 15 जनवरी को भोगी पोंगल मनाया जाएगा। इस दिन लोग भगवान इंद्र की पूजा अर्चना करते हैं।
साउथ इंडिया में मनाए जाने वाले पोंगल पर्व की शुरुआत भोगी पोंगल (गंगा दशहरा व्रत कथा) के साथ होती है। यह दिन भगवान इंद्रदेव को समपर्ति होता है। भोगी पोंगल को इंद्र पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन अच्छी सफल और अच्छी बारिश के लिए भगवान इंद्रदेव की पूजा कर प्रसन्न किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इंद्र की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि और खुशी आती है। भोगी पोंगल के दिन से तमिल के नए वर्ष की शुरुआत होती है।
इसे भी पढ़ें- सूर्य देव की पूजा करने से मिलते हैं ये चार बड़े लाभ
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इन्द्र देव को भोग-विलास में मस्त रहने वाला देवता माना जाता है, इसलिए इस दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है। इस दिन शाम के समय लोग अपने-अपने घरों से पुराने कपड़े और कूड़े को एक जगह पर इकट्ठा करके जलाते हैं। यह कार्य ईश्वर के प्रति सम्मान और बुराई के अंत को दर्शाता है। इस आग के इर्द-गिर्द युवा रात भर भोगी कोट्टम बजाते हैं। यह वाद्य यंत्र भैस की सिंग का बना एक प्रकार का ढोल होता है।
यह विडियो भी देखें
इसे भी पढ़ें- Pongal Kab Hai 2024: कब मनाया जाएगा पोंगल, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
भोगी पोंगल के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान (गंगा से जुड़े तथ्य) कर भगवान इंद्रदेव की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करके सामानों को घर से बाहर करते हैं। घर में मौजूद सभी चीजों की साफ-सफाई की जाती है। उसके बाद चावल के आटे से बने पेस्ट से घर को सजाते हैं। घर के आंगन व मुख्य द्वार पर कोलम बनाया जाता है। इसके बाद, जहां कोलम बनी होती है वहां पोंगल तैयार किया जाता है। शाम के समय लोग इकट्ठा होकर भोगी कोट्टम बजाते हुए लोकगीत गाते हैं। साथ ही, एक-दूसरे को बधाइयां देते और मिठाइयां खिलाते हैं।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit- freepik
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।