(Pongal 2024 date and significance) हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का विशेष महत्व है। वहीं मकर संक्रांति साल का पहला पर्व है। इस पर्व को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में मकर संक्रांति के दिन पोंगल का पर्व विशेष रूप से मनाते हैं।। यह पर्व सूर्यदेव को समर्पित है। यह पर्व एक नहीं चार दिन तक चलता है। अब ऐसे में इस साल पोंगल कब मनाया जाएगा। इस पर्व का क्या महत्व है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें कब है पोंगल ? (Pongal Kab Hai 2024)
इस नए साल में पोंगल दिनांक 15 जनवरी को मनाया जाएगा। दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में पोंगल का त्योहार दिन तक मनाया जाता है। इसमें दूसरे दिन थाई पोंगल बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। जिसे पोंगल कहते हैं।
जानें पोंगल का महत्व (Significance of Pongal 2024)
पोंगल का पर्व सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा-पाठ की जाती है। और इस दिन कृषि फसल की अच्छी उपज और पैदावार के लिए भगवान को धन्यवाद करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन तमिल नववर्ष का आरंभ भी होता है। पहले दिन भोगी पोंगल होता है। जिसमें अच्छी वर्षा के लिए इंद्रदेव का आभार प्रकट करते हैं। वहीं दूसरे दिन सूर्यदेव (सूर्यदेव पूजा) की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशुओं की भी विधिवत पूजा की जाती है। इस पर्व के आखिरी दिन घर को फूलो से सजाया जाता है और सुख-समृद्धि की कामना के लिए भगवान से कामना करती हैं। पोंगल पर अच्छी फसल, प्रकाश और सुखदायी जीवन के लिए सूर्य, प्रकृति, पशु और देवी-देवता के प्रति आभआर व्यक्त करने का पर्व है।
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जानें पोंगल का शुभ मुहूर्त (Pongal shubh Muhurat 2024)
पोंगल की तिथि का आरंभ रात में 8 बजकर 42 मिनट से हो रहा है। ऐसे में उदय तिथि में यानी 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति और पोंगल मनाई जाएगी।
जानें कैसे मनाया जाता है पोंगल (How Pongal is Celebrated in Hindi)
पोंगल के त्योहार की परंपरा कई राज्यों में अलग-अलग तरह की है। यह पर्व उत्तर भारत में मनाई जाने वाले गोवर्धन पूजा और बिहार में मनाए जाने वाले छठ पर्व की मानी जाती है। पोंगल पर्व 4 दिन तक मनाई जाती है। इसकी अलग-अलग परंपराएं भी निभाई जाती हैं। इसमें पहला दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन थाई पोंगल और तीसरे दिन कन्नम पोंगल और चौथे दिन मट्टू पोंगल कहलाता है। पहले दिन जहां लोग घरों की सफाई करते हैं, वहीं दूसरे दिन थोई पोंगल में सूर्यदेव (सूर्यदेव मंत्र) को अर्घ्य दिया जाता है।
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इस दिन सूर्यदेव को नए धान का भोग लगाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव के साथ-साथ इंद्रदेव, गाय-बैलों और खेतों में काम किए जाने वाले उपकरणों की भी पूजा की जाती है।
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