बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद सबसे पुराना तरीका है। यह अनूठा सिस्टम मेडिकल डिसऑर्डर के साथ-साथ उनसे बचने के उपायों पर भी बल देती है। यही कारण है कि इस चिकित्सा पद्धति को भारत ही नहीं, विश्व भर में जाना और सराहा जाता है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में कुछ फूड कॉम्बिनेशन को लेकर काफी संदेह है और माना जाता है कि यह बॉडी में टॉक्सिन पैदा कर कई बीमारियों का कारण बनते हैं। मॉडर्न साइंस का भी मानना है कि जब बॉडी में प्रवेश करते समय फूड compounds में ब्रेक होते हैं, वह कुछ फूड के संपर्क में आने पर अजीब व्यवहार करते हैं। आइए त्यागी पंचकर्मा और आयुर्वेदिक हॉस्पिटल की आयुर्वेदिक डॉक्टर शिल्पी से ऐसे की कुछ फूड कॉम्बिनेशन के बारे में जानें, जिनसे आपको बचना होगा।
आयुर्वेदिक डॉक्टर शिल्पी का कहना है कि ''अक्सर लोग जल्दबाजी में चाय और दही को एक साथ खा लेते है जो आपकी हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है। चाय और दही दोनों ही एसिडिक होते हैं दोनों का एक साथ सेवन आपके डाइजेशनको नुकसान पहुंचा सकता है।''
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पुरानी कहावत चली आ रही है कि तरबूज को अकेले रहना चाहिए। चूंकि तरबूज में 90-95 प्रतिशत पानी होता है, इसलिए खाने के बाद पानी पीने से डाइजेशन कमजोर हो जाता है।
अक्सर लोग सुबह नाश्ते में दूध के साथ केले लेते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इस कॉम्बिेनशन को बहुत हैवी माना जाता है, इसलिए इस कॉम्बिेनशन को न लेने की सलाह देते हैं।
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अगर नींबू की एक भी बूंद दूध में पड़ जाए तो दूध फट जाता है। तो सोचो आपके पेट का क्या हाल होगा जब आप दूध के साथ नींबू का सेवन करेंगे। हालांकि आमतौर पर यह माना जाता है कि पेट के पाचन रस नींबू से भी ज्यादा एसिडिक होते है, फिर भी आयुर्वेद साइंस इसे टॉक्सिन समझते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार जब खट्टे फलों को दही के साथ लिया जाता है तो वह एसिड बनाते हैं और बॉडी का मेटाबॉल्जिम को धीमा कर देते हैं। इसलिए इस कॉम्बिनेशन से बचना चाहिए।