सावन में सोमवार व्रत और पूजा का खास महत्व होता है। इस साल सावन में चार सोमवार का योग था और 4 अगस्त को आखिरी सोमवार है। इस दिन कई लोग भोलेनाथ की पूजा व अभिषेक करते हैं और इस दिन रुद्राभिषेक का भी खास महत्व होता है। रुद्राभिषेक का अर्थ होता है रुद्र का अभिषेक यानि भगवान शिव का अभिषेक। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर किसी को अपनी कुंडली में मौजूद दोषों से मुक्ति पानी है तो उसे रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक सिर्फ एक पूजा नहीं होती, यह एक ऐसा अनुष्ठान है जिसे सच्चे मन से करने पर भगवान शिव की कृपा जरूर बरसती है। Last Sawan Somwar 2025 के लिए अगर आपको भी रुद्राभिषेक कराना है तो कुछ चीजों की आवश्यकता जरूर पड़ेगी। आप अपनी पूजा सामग्री की सूची बनाते समय दूध, दही, शहद, घी, चंदन, सफेद फूल, मंदार की माला, बेलपत्र, धतूरा, कपूर, गंगाजल, फल, मिठाई और साफ पूजा के बर्तनों को उसमें जरूर लिखे। ऐसे में यहां दी गई चीजें रुद्राभिषेक के दौरान आपके काम आ सकती हैं।
Sawan Last Somwar 2025 पर रुद्राभिषेक के लिए तैयार कीजिए जरूरी सामान की लिस्ट!
Sawan Somwar 2025: 04 अगस्त को होगा सावन का आखिरी सोमवार जिसमें भोलेनाथ के रुद्राभिषेक को होगा खास महत्व। इसके लिए आपको पड़ेगी कुछ चीजों की जरूरत, यहां देखिए सूची।

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100% वेजिटेरियन क्वालिटी वाला यह शहद रुद्राभिषेक में भोलेनाथ को चढ़ाने के लिए और पंचामित्र बनाने में काम आ सकता है। यह कच्चा शहद है जिसका पॉलेन काउंट काफी ज्यादा है। यह अनप्रॉसेसड, ऑर्गैनिक और कच्चा शहद है; जिसे जंगलों से लाया गया है। असाधारण गुणवत्ता वाला यह शहद प्रकृति से सीधे आप तक पहुंचेगा, ताकि आप बेहतर स्वाद, गुणवत्ता और लाभ का आनंद ले सकें। कंपनी का दावा है कि इस शहद की शुद्धता और गुणवत्ता इसे अन्य विकल्पों की तुलना में सही पसंद बनाती है। रुद्राभिषेक के दौरान जीवन में मधुरता, सद्भाव और प्रेम के प्रतीक के रूप में शिवलिंग पर शहद चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सुख, सकारात्मकता और भावनात्मक स्थिरता लाता है; जिससे भक्तों को शांति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। पंचामृत में दूध और दही जैसे अन्य पदार्थों के साथ शहद चढ़ाने से भी समृद्धि, सफलता और धन की प्राप्ति होती है।
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घी रुद्राभिषेक में अत्यंत शुभ माना जाता है। इसका उपयोग शिवलिंग के औपचारिक स्नान में दूध, दही, शहद और जल जैसे अन्य पदार्थों के साथ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घी आत्मा को शुद्ध करता है, बाधाओं को दूर करता है, और समृद्धि एवं ज्ञान प्रदान करता है। कंट्री डिलाइट ब्रांड का यह घी गाय के दूध से बना है, जो पूरी तरह से शुद्ध और प्राकृतिक है। इस देसी दानेदार घी को बनाने के लिए शुद्ध गाय के दूध की मलाई का इस्तेमाल किया गया है। Sawan 2025 सोमवार के लिए रुद्राभिषेक के दौरान इसे दिया जलाने, पंचामित्र बनाने और भगवान को चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शुद्ध घी को ए और ई जैसे महत्वपूर्ण विटामिनों का प्राकृतिक स्रोत माना जाता है, जो इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद हैं। इस देसी घी को 100% शुद्धता के साथ तैयार किया गया है। इसके सोर्सिंग से लेकर डिस्पैच तक की प्रक्रिया की, वास्तविक समय में निगरानी की जाती है, जिससे मिलावट का जोखिम काफी कम हो जाता है।
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चंदन रुद्राभिषेक के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। शुद्ध चंदन के पेस्ट से निर्मित यह टीका आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे यह रुद्राभिषेक, हवन और ध्यान के लिए आदर्श है। साथ ही यह शांति और सकारात्मकता के लिए लंबे समय तक चलने वाली सुगंध प्रदान करता है। सावन 2025 के आखिरी सोमवार पर रुद्राभिषेक में, शिवलिंग का अभिषेक चंदन से किया जाता है; जो शुद्धिकरण, शीतलता और भगवान शिव के साथ भक्त के जुड़ाव को बढ़ाने का प्रतीक है। इसके शीतल गुण मन को शांत करते हैं, जबकि इसकी सुगंध दिव्य ऊर्जाओं को आकर्षित करती है और आध्यात्मिक एकाग्रता को गहरा करती है। इसके अलावा, चंदन को शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। यह चंदन टीका अपनी शुद्धता और प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके तैयार किया गया है, जो एक प्रामाणिक सुगंध सुनिश्चित करता है जो दिव्य पूजा अनुष्ठानों के लिए ध्यान, एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है।
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गंगाजल भी रुद्राभिषेक के लिए काफी जरूरी होता है। ऐसा माना जाता है कि यह आत्मा को शुद्ध करता है, पापों को दूर करता है व शांति, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देता है। गंगाजल से रुद्राभिषेक करना भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन की बाधाओं को दूर करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह धार्मिक अनुष्ठानों के लिए गंगा नदी के उद्गम से पवित्र गंगा जल है। यह देवप्रयाग का पवित्र गंगा जल है, जहां भागीरथी नदी, अलकनंदा और गुप्त सरस्वती नदी मिलकर गंगाजी बनाती हैं। चूंकि यह गंगाजी का प्रारंभिक बिंदु है, इसलिए इसका जल अपनी सबसे प्राकृतिक, शुद्ध, प्राचीन, अदूषित और पवित्रतम स्थिति में है। इसे आप Last Sawan Somwar पर रुद्राभिषेक और पूजा के दौरान इस्तेमाल कर सकते हैं।
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रुद्राभिषेक में पीतल के बर्तनों का अपनी पवित्रता और दिव्य ऊर्जाओं को प्रवाहित करने की क्षमता के कारण विशेष महत्व है। पीतल को एक सात्विक धातु माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और अनुष्ठान की पवित्रता को बढ़ाता है। विशेष रूप से, गौमुखी श्रृंगी; जो गाय के मुख के आकार का एक पीतल का बर्तन होता है। इसका उपयोग शिवलिंग पर जल, दूध या शहद जैसे तरल पदार्थ चढ़ाने के लिए किया जाता है, जो पवित्रता और दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है। गौमुखी श्रृंगी यह शुद्ध पीतल से बना है और इसका सुनहरा रंग बर्तन को बहुत अच्छा लुक देता है। सावन सोमवार के अवसर पर भगवान शिव की पूजा के लिए यह बहुत उपयोगी हो सकता है। इसकी क्षमता 150 मिलीलीटर है और लंबाई 24 सेंटीमीटर है। 150 ग्राम वजन वाला यह गौमुखी श्रृंगी सावन के अलावा अन्य पूजा में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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Faq's
- सावन 2025 का आखिरी सोमवार कब है?+सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है और 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। सावन 2025 का पहला सोमवार 14 जुलाई को था और Last Sawan Somwar 2025 4 अगस्त को पड़ रहा है। सावन में इस बार कुल 4 सोमवार का योग था।
- सावन में भगवान शिव की पूजा क्यों करते हैं?+सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी, जिससे यह महीना और भी पवित्र हो गया है। समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, भगवान शिव ने हलाहल विष का पान करके संसार को बचाया था, जिससे उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है।
- सावन के आखिरी सोमवार पर रुद्राभिषेक क्यों करना चाहिए?+सावन के आखिरी सोमवार को रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना गया है। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और ग्रह दोष शांत होते हैं। साथ ही इस सोमवार 108 बेलपत्र लेकर उसपर सफेद चंदन लगाने और शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों से राहत मिलती है।
- रुद्राभिषेक के दौरान कौन-सी चीजों की आवश्यकता होती है?+अगर आप Sawan Somwar 2025 पर रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो दूध, दही, शहद, घी, चंदन, सफेद फूल, मंदार की माला, बेलपत्र, धतूरा, कपूर, गंगाजल, फल, मिठाई और साफ पूजा के बर्तनों की जरूरत होगी।