Father Daughter Bonding: कुछ ऐसी है मेरे पापा के साथ मेरी बॉन्डिंग

अपने पिता को अपना दोस्त बनाना कठिन नहीं है अगर आप कुछ आसान सी बातों का ध्यान रखें और उन्हें रोजाना फॉलो करें।  

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Apne Papa Ke Sath Mera Rishta: कहते हैं न कि एक बेटी के लिए उसके पापा ही उसके सुपरहीरो होते हैं। मेरे पापा भी मेरे लिए सुपरहीरो से भी बढ़कर हैं। मां और पापा से मुझे हमेशा ही बराबर का प्यार मिला और आज भी मिल रहा है लेकिन फिर भी मैं अपने पापा के ज्यादा क्लोज हूं।

मैं अदिति भटनागर आज न सिर्फ अपने पापा के साथ अपने खूबसूरत रिश्ते को बयां कर रही हूं बल्कि उन पलों को भी इस लेख के बहाने दोबारा जी रही हूं जो मैंने बचपन से अब तक अपने पापा के साथ बिताए हैं। मैं एक वर्किंग वीमेन हूं और मेरे इस मुकाम पर पहुंचने का पूरा श्रेय मेरे पापा को जाता है।

मेरे पापा ने मुझे हमेशा मुसीबतों से लड़कर आगे बढ़ना सिखाया, मुझे अपने मन की बातों को सुनना सिखाया, मुझे मेरे इंटरेस्ट के हिसाब से हर काम को करने की आज़ादी दी, मेरी हर परेशानी में मेरे साथ खड़े रहे ताकि जब भी लाइफ के किसी मोड़ पर मैं डगमगाने या हारने लगूं तो मुझे संभाल लें।

मेरे पिता ने मुझे जो संस्कार और आदर्श दिए हैं उन्हीं के बलबूते आज मैं एक अच्छी जॉब कर रही हूं, संस्कारों से पनपे सरल व्यक्तित्व के कारण मुझे प्रोफेशनली और पर्सनली लोगों द्वारा खूब सम्मान मिलता है। मेरे पिता सही कहते हैं जीवन का आधा संघर्ष आप अपने उत्तम चरित्र से ही जीत लेते हैं।

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मेरे पापा सिर्फ एक पिता नहीं बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। शायद एक पिता अपनी बेटी की चिंता में उसे पंख फैराने नहीं देता कि कहीं कोई मेरी बच्ची की उड़ान रोक न दे, कि कहीं मेरी बच्ची को चोट न लगे लेकिन अगर पिता में एक दोस्त भी नजर आने लगे तब पिता की घबराहट को दोस्त का हौसला मजबूत करता है।

ऐसा नहीं है कि मेरे पापा और मेरे बीच शुरू से ही ऐसा रिश्ता रहा है। मुझे अच्छे से याद है क्लास 5th तक मैं मेरे पापा से बहुत डरती थी। मेरे पापा से मैं हर बात छुपाती थी। मुझे कहीं घूमने भी जाना होता था तो मैं झूठ बोलकर जाती थी। एक दिन मेरे पापा ने मेरा झूठ पकड़ लिया।

मेरे पापा को तब पहली बार इस बात का एहसास हुआ कि मैं उनसे डरती हूं। फिर उन्होंने अपने व्यवहार में बदलाव लाने शुरू किये। मुझसे बातें करना ज्यादा से ज्यादा शुरू किया, मुझे समझना शुरू किया, मुझे घुमाने ले जाने लगे, मेरी गलती पर डांटने के बजाय प्यार से समझाने लगे।

यहां तक कि मेरे साथ मस्ती-मजाक करते और दोस्तों जैसा व्यवहार करते। यह देख मैं हैरान थी लेकिन मुझे भी यह समझ आ गया था कि मैं अब अपने पापा के साथ हर बात शेयर कर सकती हूं और झूठ बोलने की अब जरूरत नहीं। बस तब से लेकर आज तक मेरे पापा और मेरे बीच ये दोस्ती वाला रिश्ता कायम है।

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