मेरे हौसले ने पूरा किया गांधी फेलोशिप का सपना, सामने आईं चुनौतियों का ऐसे किया सामना

अपने सपने साकार होते देखना हर कोई चाहता है, हर एक वक्त के बाद हमारा हौसला टूट जाता है। पर वो कहते हैं ना अगर कुछ चीज शिद्दत से चाहो, तो हर काम आसान हो जाता है।  

 
how i joined gandhi fellowship in hindi

मेरा नाम शगुफ्ता खानम है, मैं नई दिल्ली से हूं। मैंने अपनी पढ़ाई जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से ह्यूमन राइट्स में पूरी की है। उसी दौरान मैंने महसूस की, कि हम अधिकारों की तो बहुत बात करते है लेकिन हम समाज मे कर क्या रहे है हमारे कर्तव्य एक समाज के प्रति क्या है उसको लेकर क्या करें। मैंने गांधी फेलोशिप का फॉर्म भरा जिसमें मुझे कम्युनिटी और सरकार के साथ काम करने का मौका मिल रहा था, जिसमें हम स्वयं से समाज तक के बदलाव की बात करते है।

इसी को ध्यान में रखते हुए जब मैं यूपी के बहराइच जनपद में काम करना शुरू किया। जिसमे हमने समुदायों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जल क्षेत्र में विभिन्न साक्षरता स्तर वाले लोगों के साथ काम किया, मुझे लाभार्थियों के साथ जुड़ना और हितधारकों के साथ सुचारू ढंग से कार्य करने में आसानी हुई।

पहले मुझे लगता था कि उनके साथ जुड़ना मेरे लिए बहुत कठिन रहेगा, लेकिन मैंने अनुभव किया कि अगर आप उनकी भाषा और उनसे जुड़ी समस्याओं तथा सुझाव को लेकर बात करंगे तो वो बिल्कुल सुनेंगे। बहराइच, उत्तर प्रदेश का दूसरा गरीबी रेखा में आने वाला जिला है जहां ज़्यादातर जनसंख्या शिक्षा से वंचित है।

Shagufta khanan author

अगर मैं ज़िले में रह रहे समुदाय के बारे में बात करूं तो 50% मुस्लिम समुदाय के लोग है जिनकी शिक्षा ज़्यादातर छोटे मदरसों तक महदूद है। वहाँ के मलिन बस्तियों में स्वस्थ्य की सेवाएं देना बहुत कठिन काम है जिसको लेकर हम वहाँ के फेथ लीडर्स के साथ आये दिन बैठक करते रहते है।

हमने कोविड के दौरान मदरसा की लड़कियों के लिए मदरसे में ही कोविड- 19 कैम्प लगवाया था। अगर मैं अपने वर्तमान समय की बात करूं, तो मैं जमीनी स्तर पर आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षकों में काम के प्रति व्यवहार परिवर्तन पर काम कर रही हूं।

इसमें मैं संबंधित विभागों के प्रखंड एवं जिला स्तरीय अधिकारियों से भी मिलती हूं और समस्या के समाधान पर काम करती हूं। पिरामल की डिस्ट्रिक्ट टीम (DL, PL, DPL और co-fellows) से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसी को लेकर में आगे भी सीखते रहना चाहती हूं, ताकि मैं खुद को एक अच्छे व्यक्तित्व में ढाल सकूं, जो समाज में एक बेहतर कल का निर्माण करने में मदद करें।

इसमें मैं संबंधित विभागों के प्रखंड एवं जिला स्तरीय अधिकारियों से भी मिलती हूं और समस्या के समाधान पर काम करती हूं। पिरामल की डिस्ट्रिक्ट टीम (DL, PL, DPL और co-fellows) से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसी को लेकर में आगे भी सीखते रहना चाहती हूं, ताकि मैं खुद को एक अच्छे व्यक्तित्व में ढाल सकूं, जो समाज में एक बेहतर कल का निर्माण करने में मदद करें।

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