हिन्दू धर्म के अनुसार होली के त्यौहार का विशेष महत्त्व है। होली के आठ दिन पहले से ही होलाष्टक का समय आरम्भ हो जाता है जिसमें शुभ कार्य करने की मनाही होती है और पूजा-पाठ करने पर जोर दिया जाता है। इन आठ दिनों के समापन के साथ ही होलिका दहन, होली के एक दिन पहले मनाई जाने वाली रस्मों में से एक है। लोगों की मान्यता है कि होलिका दहन के साथ बुराइयों का भी दहन होता है और बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। होलिका दहन की परंपरा फाल्गुन माह की पूर्णिमा तीथि यानी कि पूर्ण चन्द्रमा की रात को मनाई जाती है जिसका विशेष महत्त्व है।
इस वर्ष, होलिका दहन 28 मार्च को मनाया जाएगा। कई ऐसे काम हैं जो होलिका दहन वाले दिन करने से बचना चाहिए, अन्यथा जहां एक ओर धन धान्य की हानि हो सकती है, वहीं घर में रोग भी आते हैं। आइए जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस दिन किन कामों से पूरी तरह बचना चाहिए।
होलिका दहन पर मुख्य रूप से होलिका माता की पूजा की जाती है और घर में सुख समृद्धि की कामना की जाती है। इसलिए भूलकर भी इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। चूंकि होलिका दहन पूर्णिमा तिथि को पड़ता है। इसलिए इसका और भी अधिक महत्त्व है और इस दिन तामसिक भोजन पूर्ण रूप से वर्जित माना जाता है। इस दिन पूरी तरह से मांस मदिरा के सेवन से बचें अन्यथा धन हानि होना और घर में रोग आना निश्चित है।
यदि आप धन वृद्धि की कामना करते हैं तो होलिका दहन के दिन कितनी भी बड़ी परेशानी क्यों न हो किसी को भी पैसे उधार देने और लेने से बचना चाहिए। ज्योतिष के हिसाब से मान्यता है कि होलिका दहन के दिन पैसे का लेन -देन करने से धन हानि होती है।
घर के बड़े हमें हमेशा अच्छे काम करने की सलाह देते हैं इसलिए उन्हें हमेशा सामान देना जरूरी है। खासतौर पर होलिका दहन के दिन बुजुर्गों का अपमान करने से बचें। इस दिन बुजुर्गों का अपमान करने से भगवान् भी अप्रसन्न होकर घर में रोग दोष ले आते हैं। इस दिन बड़ों और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना अत्यंत फलदायी होता है।
होलिका दहन के दिन जहां तक संभव हो किसी दूसरे के घर में भोजन करने से बचना चाहिए। इस दिन दूसरों के घर में भोजन करने से घर में रोग-दोष आते हैं। इस दिन अपने घर में शुद्ध भोजन बनाकर पूरे परिवार समेत ग्रहण करना चाहिए और ईश्वर को भोग लगाना चाहिए।
मान्यता है कि होलिका दहन के दिन कई नकारात्मक शक्तियां इर्द गिर्द घूमती हैं, इसलिए महिलाओं को अपने बाल खुले नहीं छोड़ने छोड़ने चाहिए। होलिका दहन के पूजन के समय कभी भी बाल न खुले छोड़ें अन्यथा नकारात्मक शक्तियों का वास घर में होता है।
होलिका दहन के दिन गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। आमतौर पर गर्भवती स्त्री का अग्नि की परिक्रमा लेना वर्जित माना जाता है।
मान्यतानुसार नव विवाहित स्त्रियों को शादी के बाद पहली होली अपने मायके में भी करनी चाहिए। होलिका दहन के दिन यदि किसी वजह से ससुराल में ही हैं तो भी नवविवाहिता का होलिका की अग्नि देखना शुभ नहीं होता है। इससे ससुराल और मायके दोनों पक्षों में दरिद्र आता है।
होली का त्यौहार सभी लड़ाइयों को छोड़कर एक-दूसरे को गले लगाने का त्यौहार है और आपस में मिलजुलकर ख़ुशी मनाने के इस अवसर में लड़ाई झगडे से बचना चाहिए। होलिका दहन के दिन पति-पत्नी को भी आपसी कलह से बचना चाहिए। मान्यता है कि यदि इस दिन लड़ाई झगड़ा किया जाता है, तो पूरे साल लड़ाई होती है और घर में अशांति बनी रहती है।