सन 2000 में हुए सिडनी ओलंपिक में कर्णम ओलंपिक ने वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। ये पहली बार था जब किसी भारतीय महिला खिलाड़ी ने ओलंपिक में पदक जीता, लेकिन कर्णम मल्लेश्वरी गोल्ड जीतने की दावेदार थीं। आखिर कर्णम मल्लेश्वरी के हाथ से गोल्ड कैसे फिसल गया। आइए इस वीडियो के माध्यम से कर्णम मल्लेश्वरी की कहानी उन्हीं की जुबानी जानें।
मल्लेश्वरी को आंध्रप्रदेश की 'आयरन लेडी' कहा जाता है। कर्णम का जन्म आंध्रप्रदेश के छोटे से गांव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें खेल कूद का शौक था। लेकिन पुराने ख्यालों के चलते उनके परिवार वाले उन्हें ज्यादा बाहर आने जाने नहीं देते थे। कर्णम अपनी मां के बेहद करीब थीं। उनकी मां ने अपनी बेटी के शौक को जाना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी मां कर्णम को गांव के जिम लेकर गई और ट्रेनिंग की शुरुआत करवाई। 12 साल की कम उम्र में ही कर्णम जिम में एक्सरसाइज करने लगी थी। मल्लेश्वरी ने अपने करियर की शुरुआत जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप से की। 1992 के एशियन चैंपियनशिप में मल्लेश्वरी ने तीन रजत पदक जीते। यूं तो उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 3 कांस्य पदक पर कब्जा किया था, लेकिन 2000 के सिडनी ओलंपिक में उनकी सबसे बड़ी कामयाबी थी, जहां उन्होने कांस्य पर कब्जा किया और इसी के साथ वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
कर्णम मल्लेश्वरी की कहानी उन्हीं की जुबानी
आइए इस वीडियो के माध्यम से सिडनी ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीतने वाली कर्णम मल्लेश्वरी की कहानी उन्हीं की जुबानी जानें।
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