मैं मीना गुप्ता उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से हूं। मैं एक आम गृहणी हूं और मेरे शौक भी आम गृहणियों वाले ही हैं। घर को सजाना-संवारना और घरवालों के लिए अच्छा-अच्छा खाना पकाना मुझे बहुत पसंद है। इन्हीं सारे काम को करते-करते मेरा पूरा दिन बीत जाता है। गृहणियों के साथ एक समस्या होती है कि उन्हें रोज एक जैसा ही काम करना पड़ता है और कई बार यह बहुत ही बोरिंग हो जाता है। मगर एक गृहणी चाहे तो अपनी क्रिएटिविटी से बहुत कुछ अलग कर सकती है। मैंने अपनी सास से यह बात सीखी थी।
मेरी सास न तो पढ़ी-लिखी थीं और न ही उन्हें ज्यादा दुनियादारी आती थी। मगर पाक कला में उनकी कुशलता किसी 5 स्टार होटल के शेफ जैसी थी। वह जिस डिश में हाथ लगा देती थीं, उसका स्वाद अमृत जैसा हो जाता था। मुझे भी उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। जो सबसे अच्छी बात मैंने उनसे सीखी, वह यह थी कि कभी भी बचे हुए खाने को फेंकना नहीं चाहिए।
खासतौर पर रोटी अगर बच जाए, तो उसका कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है और उससे तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं, यह मैंने उन्हीं से सीखा था। चलिए आज उन्हीं की बताई हुई एक रेसिपी मैं आपसे शेयर करती हूं।
मैं एक मारवाड़ी परिवार से हूं और हमारे घर में खाने के साथ एक मिठाई का होना अनिवार्य है। मिठाई के न होने पर खाना अधूरा सा लगता है। दाल-बाटी हमारी पारंपरिक डिश है, जिसे हम हफ्ते में 1 बार तो बना ही लेते हैं। दाल-बाटी के साथ चूरमा भी बनाया जाता है और चूरमा बनाने के लिए भी हम बासी रोटी का इस्तेमाल करते हैं।
बासी रोटी का टेस्टी और रोल भी मेरे घर पर खूब पसंद किया जाता है। आप भी एक बार मेरी बताई हुई रेसिपी को ट्राई जरूर करएिगा।
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