लखनऊ की आन, बान और शान को दर्शाने वाली चिकनकारी एंब्रॉयडरी दिखने में जितनी खूबसूरत लगती है, उतना ही जटिल होता है इसे कपड़ों पर उकेरना। हममें से बहुत सारे लोग खुद को चिकनकारी लवर कहते हैं, मगर चिकनकारी एंब्रॉयडरी के बारे में हमें जानकारी कम होती है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि यह एंब्रॉयडरी कितने प्रकार की होती है।
टेपची एक लंबी और रफ स्टिच होती है, जिसमें 6 धागों का इस्तेमाल किया जाता है। इस एम्ब्रॉयडरी को कपड़े की दाईं ओर से किया जाता है। इस स्टिच में एक धागे को पकड़ते हुए चार धागों को कवर किया जाता है। इस तकनीक से एक विशिष्ट प्रकार की रेखा बनती है और इस स्टिच की मदद से बहुत ही सरस आकार बनाए जा सकते हैं, जैसे-फूल और पत्ती को चिकनकारी एंब्रॉयडरी में इसी स्टिच के माध्यम से बनाया जाता है।
चिकनकारी एंब्रॉयडरी में बखिया स्टिच को बहुत ज्यादा प्रमुखता दी जाती है। इसे 'शैडो जॉब' या भकिया भी कहा जाता है। बखिया में कपड़े के उल्टे साइड में निडलवर्क की मदद से धागों से शैडो उत्पन्न की जाती है। इससे चिकनकारी एंब्रॉयडरी बहुत ज्यादा खूबसूरत लगती है।
फंदा या नॉट स्टिच भी चिकनकारी एंब्रॉयडरी में बहुत प्रचलित है। इस स्टिच में कपड़े पर छोटी और गोल गांठें बनाई जाती हैं, इससे एम्ब्रॉयडरी हैवी नजर आने लग जाती है।
चिकनकारी एंब्रॉयडरी में जाली स्टिच भी बहुत लोकप्रिय है। यह कपड़ों को शाही लुक देती हैं। यह जाली वर्क धागों के माध्यम से कपड़े पर ही किया जाता है। जाली वाली एंब्रॉयडरी भी होती है। इसमें में ताने और बाने की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए धागों को सावधानीपूर्वक सुई में पिरोया जाता है और इससे कपड़े में छोटे-छोटे बटनहोल टांके जाते हैं, जिससे जाली बन जाती है।
यह बहुत ही भरी-भरी एम्ब्रॉयडरी होती है। इसमें आईलेट होल बनाया जाता है और फिर उसकी गोलाई में लकीरें खींच कर फूल बनाया जाता है। आमतौर पर आपको कॉटन के कपड़ों में इस तरह की चिकनकारी एंब्रॉयडरी देखने को मिलेगी।
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हूल चिकनकारी वाले फैब्रिक आपने बाजार में खूब देखे होंगे। यह मशीन द्वारा की जाती है ओर इसमें छोटे से होल को गोलाई से धागों से भर दिया जाता है। इतना ही नहीं, इसमें आप अलग-अलग धागों से फूल बनाया जाता है। इस तरह की एंब्रॉयडरी में भी 6 धागों का प्रयोग किया जाता है।
चिकनकारी में जंजीर या चेन स्टिच भी बहुत प्रचलित है। इससे आप फूल पत्ती और किसी भी तरह का पैटर्न बना सकती हैं। जटिल से जटिल डिजाइन भी जंजीरा स्टिच करके बनाई जा सकती है।
बनारसी सिलाई में गांठ जैसे पैटर्न बनाना शामिल है, जो बनारसी कपड़ों की संरचना जैसा दिखता है। यह स्टिच आसान होती है और कपड़ों को लाइटवेट दिखाती है।
चिकनकारी में यह एक बहुत ही विशिष्ट थीम है। इस स्टिच में धागों की मदद से फूलों के पैटर्न बनाए जाते हैं।
मकरा स्टिच से मकड़ी के जाले जैसे पैटर्न बनते हैं, जो कपड़े को एक खास तरह का अंदाज देते हैं। हैवी चिकनकारी एम्ब्रॉडरी में इस स्टिच को शामिल किया जाता है।
पौधे के तने जैसा दिखने वाला यह स्टिच, आमतौर पर एंब्रॉयडरी की डिटेलिंग के लिए किया जाता है।
चिकनकारी में टर्फ ब्लेड जैसे दिखने वाले लंबे, ब्लेड जैसे स्टिच एंब्रॉयडरी के ढांचों को भर देते हैं, जो प्रकृति और शिल्प कौशल का एक अद्वितीय मिश्रण बनाते हैं।
यह छोटे मोती जैसे आकार में बनने वाले स्टिच होते हैं, इससे एंब्रॉयडरी की बनावट बहुत अच्छी लगने लगती है।
यह स्टिच हाथ के बैंड जैसी दिखती है और इसका इस्तेमाल आमतौर पर किसी एम्ब्रॉयडरी को खत्म करते वक्त सीमाओं को बांधने के लिए किया जाता है।
राहेट स्टिच का इस्तेमाल अक्सर फूलों की शैली बनाने के लिए किया जाता है।
यह स्टिच मोतियों जैसी बनावट बनाने वाली दानेदार स्टिच होती है, इसमें भी गांठ बनाई जाती है।
इस स्टिच को फ्लोरल थीम पर किया जाता है और जब बहुत सारे फूल बनाने होते हैं, तब इस एम्ब्रॉयडरी को किया जाता है।
इस चिकनकारी एंब्रॉयडरी में में छोटे बीज जैसे स्टिच जो एक विशिष्ट सतह क्षेत्र बनाते हैं। इस स्टिच का प्रयोग आमतौर पर आउटलाइन बनाने और एंब्रॉयडरी के ढांचों को भरने के लिए किया जाता है।
मुर्री चिकनकारी एंब्रॉयडरी फूलों के केंद्रबिंदु को सजाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सिलाई होती है। यह चावल के आकार की फ्रेंच नॉट जैसी एम्ब्रॉयडरी होती है। इस चिकनकारी एंब्रॉयडरी के सबसे पुराने और प्रचलित प्रकार के रूप में पहचाना जाता है।
सिधौल सिलाई में बनावट और विस्तृत शैलियों का उत्पादन करने के लिए विभिन्न टांकों को एकीकृत करना शामिल है।
यह एम्ब्रॉयडरी बुलबुल पक्षी के नाम पर और यह सिलाई उसकी आंख जैसे पैटर्न बनाती है।
जरदोजी को अब एक अलग तरह की एंब्रॉयडरी के तौर पर लोग गिनते हैं, मगर जरदोजी को सोने और चांदी के तारों से किया जाता है। इसे चिकनकारी की विलासिता को बढ़ाने वाली एंब्रॉयडरी के तौर पर देखा जा सकता है।
बंजकली सिलाई मुड़ी हुई और आपस में जुड़ी हुए पैटर्न में नजर आती है।
ताज महल सिलाई एक प्रसिद्ध वास्तुकला से प्रभावित है और इसमें जटिल पैटर्न देखने को मिलते हैं। चिकनकारी की हैवी एम्ब्रॉयडरी में इस तरह की स्टिच का इस्तेमाल किया जाता है।
रोजान सिलाई गुलाब की तरह दिखने वाले पैटर्न में बनाती है, इसमें फूलों की डिजाइन ज्यादा देखने को मिलती है।
मेहरकी सिलाई को एंब्रॉयडरी की सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है और यह कई टांकों को जोड़ते हुए बनती है।
चनापट्टी सिलाई में कंघी के आकार जैसा पैटर्न शामिल होता है।
बालदा सिलाई में मोटी बनावट होती है और इसे मुकैश वर्क भी कहा जाता है। इसमे भी पहले चांदी और सोने के तारों का इस्तेमाल किया जाता था। मगर अब इसे नकली मेटल के तारों से किया जाता है।
यह बहुमुखी सिलाई होती है। इसे कपड़े के आगे और पीछे दोनों तरफ किया जा सकता है।
इस एंब्रॉयडरी में बिजली की तेज गति जैसी गतिशील और टेढ़े-मेढ़े पैटर्न का निर्माण किया जाता है।
धनिया-पट्टी की सिलाई धनिया के पत्तों के आकार से प्रेरित होती है।
दर्ज़दारी टांके विस्तृत कढ़ाई तकनीकों का वर्णन करते हैं। ये टांके चिकनकारी रिवाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो तैयार परिधान की दिखावट को सुंदर बनाते हैं।
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