कहते हैं दूध बहुत ही पौष्टिक होता है और स्वास्थ्य वर्धक भी। ऐसा है भी, दूध हमारे लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है, लेकिन उन लोगों का क्या जो दूध पचा नहीं पाते या फिर कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं जहां दूध बहुत ज्यादा अच्छा विकल्प नहीं माना जा सकता है। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो हम आपको आज बताने जा रहे हैं कुछ खास नॉन डेयरी मिल्क के बारे में। इनमें से हर तरह के दूध पर अलग-अलग रिसर्च की जा चुकी है और आपके लिए कौन सा बेहतर है ये आपको अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही तय करना चाहिए।
सोया मिल्क या तो सोयाबीन से या फिर सोयाबीन के प्रोटीन को अलग करके बनाया जाता है। इसका टेस्ट बेहतर बनाने के लिए वेजिटेबल ऑयल्स आदि मिलाए जाते हैं। इसका फ्लेवर क्रीमी होता है, लेकिन हो सकता है कि आपको अलग-अलग ब्रांड के हिसाब से स्वाद में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
सोया मिल्क को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
एक रिसर्च के मुताबिक जिन लोगों को FODMAP इंटॉलरेंस होती है उन्हें सोया मिल्क से दूर रहना चाहिए। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की न्यूट्रिशन सोर्स की रिसर्च कहती है कि ये मिल्क ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को 22% तक कम कर सकता है।
डेयरी प्रोडक्ट का एक और सब्सटिट्यूट है बादाम का दूध। इसका टेक्सचर लाइट होता है और इसमें नट्स का फ्लेवर आता है। 1 कप बादाम मिल्क में सिर्फ 30-35 कैलोरी होती हैं और अगर आपको वेट लॉस करना है तो इसे पिया जा सकता है। हालांकि, इसे बादाम का सब्सटिट्यूट नहीं मानना चाहिए क्योंकि इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स भी काफी कम होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये अधिकतर पानी से बना होता है।
बादाम के दूध को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
NCBI के एक रिसर्च आर्टिकल के मुताबिक ये दूध उन बच्चों को दिया जा सकता है जिन्हें लैक्टोस इंटॉलरेंस है। साथ ही ये कोलेस्ट्रॉल से जूझ रहे लोगों के लिए भी अच्छा है। यही रिसर्च कहती है कि इसमें बहुत ही कम मात्रा में न्यूट्रिएंट्स होते हैं।
अगर किसी को स्वादिष्ट नॉन डेयरी मिल्क चाहिए तो नारियल का दूध सबसे अच्छा साबित हो सकता है। वैसे भी भारतीय खाने में नारियल के दूध का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है। इसमें लगभग 45 कैलोरी होती हैं और 4 ग्राम फैट, लेकिन इसमें भी प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स नहीं होते। इसका फ्लेवर काफी अच्छा होता है और इसे करी आदि पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नारियल के दूध को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
healthline के एक रिसर्च आर्टिकल के मुताबिक जिन लोगों को प्रोटीन की बहुत जरूरत है उनके लिए नारियल का दूध काम का नहीं साबित हो सकता। हालांकि इसमें मीडियम चेन ट्रायग्लिसराइड्स होते हैं जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल बेहतर बनाते हैं और भूख शांत करते हैं जिससे वेट लॉस होता है।
जैसा कि नाम बता रहा है ये ओट्स से बना हुआ होता है। हालांकि, अलग-अलग ब्रांड के हिसाब से इसमें अलग इंग्रीडियंट्स हो सकते हैं। ये बहुत कम फ्लेवर का होता है और इसे वैसे ही इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे गाय का दूध। इसमें 140–170 कैलोरी होती है और फैट, प्रोटीन आदि सभी कुछ मौजूद है।
ओट्स मिल्क को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
sciencedirect.com की रिपोर्ट के मुताबिक ये प्रोबायोटिक मिल्क है जो लैक्टोस इंटॉलरेंस, रेडियोआयोडीन कैंसर ट्रीटमेंट, एक्जिमा आदि से जूझ रहे लोग लेते हैं जिन्हें डेयरी प्रोडक्ट्स सूट नहीं करते।
राइस मिल्क यानि चावल से बना दूध। ये ब्राउन और व्हाइट दोनों हो सकता है और इसकी कंसिस्टेंसी और टेक्सचर इस बात पर निर्भर करता है कि इसे किस तरह से चावल से बनाया गया है। जिन लोगों को ग्लूटन, सॉय, नट्स, डेयरी आदि से एलर्जी होती है उनके लिए ये सबसे सुरक्षित ऑप्शन माना जाता है। इसमें गाय के दूध के जितनी ही कैलोरीज होती हैं, लेकिन कार्बोहाइड्रेट्स डबल होते हैं। हालांकि, प्रोटीन और फैट कम होता है।
राइस मिल्क को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के मुताबिक चावल और चावल से बने प्रोडक्ट्स को डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से चावल पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। खास तौर पर बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को इस बात का ख्याल रखना चाहिए। चावल का दूध आमतौर पर नुकसानदेह नहीं है, लेकिन इसमें arsenic नामक टॉक्सिन होता है जिसके कारण इसे ज्यादा लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
शायद आपने इसके बारे में पहले न सुना हो, लेकिन काजू का दूध भी बहुत ही प्रसिद्ध है और इसे इसके फ्लेवर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे काजू नट्स या बटर के साथ पानी और अन्य इंग्रीडियंट्स मिलाकर बनाया जाता है। इसे कॉफी, स्मूथी आदि में पिया जा सकता है। हालांकि, बादाम के दूध की तरह ही इसमें नट्स के विटामिन, मिनरल और प्रोटीन आदि नहीं होते हैं।
काजू के दूध को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
tridhascholars.org के एक रिसर्च पेपर के मुताबिक इसमें गाय के दूध के मुताबिक बहुत कम प्रोटीन होता है, लेकिन ये हार्ट डिजीज के मरीज़ों के लिए बेहतर हो सकता है। इसमें पोटेशियम और मैग्नीशियम भी होता है। हालांकि, ये उन लोगों के लिए सही नहीं है जिन्हें ज्यादा प्रोटीन की जरूरत है।
मेकाडेमिया नट्स से बना हुआ ये दूध बहुत नया है और इसे अधिकतर ऑस्ट्रेलिया में बनाया जाता है। इसका फ्लेवर अन्य नॉन डेयरी मिल्क्स की तुलना में ज्यादा बेहतर है। इसमें कैलोरीज भी कम होती हैं और प्रोटीन की मात्रा भी कम है।
मेकाडेमिया मिल्क को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
हालांकि, इसको लेकर बहुत ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है, लेकिन हेल्थलाइन के मुताबिक इसमें 50-70 कैलोरीज होती हैं। इसकी फैट वैल्यू कम है और वेटलॉस में बेहतर हो सकता है।
ये भी उन प्लाट बेस्ड मिल्क्स में से एक है जिनके बारे में शायद आपने न सुना हो। पर इस तरह के मिल्क में फ्लेवर तो ज्यादा नहीं होता है लेकिन ये अन्य नट्स मिल्क की तुलना में थोड़ा ज्यादा बेहतर हो सकता है।
कद्दू के बीज के दूध को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
इसमें tryptophan कुछ मात्रा में पाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये अमीनो एसिड कद्दू के बीज में होता है और इससे स्लीप हार्मोन एक्टिव होता है। कद्दू के बीजों के कुछ फायदे इसमें भी होते हैं।
ये मिल्क किनुआ से बनाया जाता है और आपको ऐसी कई रेसिपी मिल जाएंगी जहां इसे घर पर बनाया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में किनुआ सुपरफूड बन गया है और इसका दूध भी नॉन डेयरी मिल्क प्रोडक्ट्स में शामिल है। इसमें लगभग 70 कैलोरीज होती हैं और अन्य नट्स आधारिक मिल्क की तरह इसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है। हालांकि, इसमें गाय के दूध की तरह ही कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं।
किनुआ मिल्क को लेकर क्या कहती है रिसर्च-
जैसा कि अन्य सभी नट्स मिल्क के साथ होता है अगर आपको ज्यादा प्रोटीन कंटेंट वाली डाइट चाहिए तो ये आपके लिए नहीं है, लेकिन अगर आपको वेट लॉस करना है तो ये अच्छा साबित हो सकता है।
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