नवरात्र में 9 दिनों तक 9 देवियों की पूजा की जाती है लेकिन क्या आप जानती हैं कि हर देवी के भोग का प्रसाद होता है खास। अगर आप हर दिन के हिसाब से देवी मां को लगाएंगी भोग तो आपके मन की मुरादें हो सकता है उन तक जरूर पहुंच जाए।
पूजा-पाठ सब विश्वास की बाते हैं और इन्ही विश्वास के आधार पर नवरात्रों में मां के 9 रूपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है। हर दिन जिस माता की पूजा होती है उन्हें उनकी पसंद के खाने का भोग लगाया जाता है जिसे भोग लगाने के बाद लोग प्रसाद के रूप में खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस दिन माता को कौन सा भोग लगाना चाहिए। नवरात्र की 9 देवियां, शक्ति के 9 स्वरुप की प्रतीक हैं। इन्हीं शक्ति के 9 स्वरुप को पाकर, आप जीवन में सुख समृद्धि से लेकर यश,कीर्ति और भौतिक संसाधन हासिल कर सकते हैं।
अगर आप नवरात्रों में माता को हर दिन ये खास भोग लगाएंगे तो आपको भक्ति करने में और भी आनन्द महसूस होगा। अगर आप ये नहीं जानती कि कौन सी माता के लिए भोग में कौन सा प्रसाद बनाना है तो हम आपको ये बता रहे हैं।
1पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और इन्हें आरोग्य की देवी कहा जाता है यानि इनकी पूजा करने से आपको आरोग्य रहने का वरदान मिलता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के पहले दिन गाय के शुद्ध देसी घी का भोग माता शैलपुत्री को लगाना चाहिए। ऐसे करने से आप निरोग और खुश रहते हैं।
2दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

कहते मां ब्रह्मचारिणी की पूजा लोग दीर्घायु के लिए करते हैं और इनकी पूजी करने से आपको सुख समृद्धि मिलती है। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाना चाहिए। शक्कर मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय है और उन्हें शक्कर का भोग लगाने से माना जाता है कि अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
3तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा

मां चंद्रघंटा को नवरात्र के तीसरे दिन दूध और दूध से बनी चीज़ों का भोग लगाया जाता है। खीर, बर्फी, मिठाई आप इन चीज़ो का मां चंद्रघंटा को भोग लगा सकते हैं। वैसे इस दिन आप मंदिर में या गरीबों को भी इन चीज़ों का दान दे सकती हैं। ऐसा करने से आपका हर दुख खत्म हो जायेगा और परमानंद की प्राप्ति होगी। भोग लगाने के बाद, दूध या दूध की मिठाई को मंदिर में ब्राह्मण को दान दें।
4चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा करने से परीक्षा प्रतियोगिता में सफलता मिलती है ऐसा माना जाता है। नवरात्रों के चौथे दिन देवी को मां कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को मालपुए खिलाने चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
5पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा

नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है और इस दिन माता को केले का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है। केले का दान करने से भी फायदा होता है। नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा करने से आजीवन आरोग्य रहने का वरदान मिलता है।
6छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा

मां कात्यायनी को नवरात्र के छठे दिन पूजा जाता है। कहते हैं इस दिन पूजा करने से आपको बहुत लाभ होता है। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से आकर्षण का आशीर्वाद मिलता है जो लोग टीवी, मीडिया और फिल्म में सफलता पाना चाहते हैं वो इस दिन माता की खास पूजा करते हैं और इस दिन उन्हें शहद का भोग लगाने के बाद प्रसाद के तौर पर इसे खाते भी हैं।
7सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा

मां कालरात्रि की पूजा आकस्मिक संकट से रक्षा करने के लिए की जाती है। इस दिन ब्राहम्णों को भी दान दिया जाता है। मा कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि गुड़ मां कालरात्रि का प्रिय है। गुड़ का भोग लगाने के बाद लोग इसे प्रसाद के तौर पर खाते भी हैं।
8आठवें दिन होती है मां महागौरी की पूजा

अष्टमी के दिन कुछ लोग कन्या पूजन भी करते हैं इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है और उन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है जिन लोगों को संतान से जुड़ी समस्याएं होती है वो सब महागौरी की पूजा करने से दूर हो जाती हैं।
9नौवें दिन होती है मा सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्र के नौ दिन मां के हर रूप को हर दिन पूजा जाता है और सबसे आखिरी दिन में मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा होता है और ये माना जाता है कि इस दिन माता को तिल का भोग लगाते हैं। जिन लोगों को आकस्मिक मृत्यु का भय होता है वो मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।