herzindagi

नवरात्र के 9 दिनों में माता के कौन से रूप को कौन सा भोग लगाया जाता है, जानें

नवरात्र में 9 दिनों तक 9 देवियों की पूजा की जाती है लेकिन क्या आप जानती हैं कि हर देवी के भोग का प्रसाद होता है खास। अगर आप हर दिन के हिसाब से देवी मां को लगाएंगी भोग तो आपके मन की मुरादें हो सकता है उन तक जरूर पहुंच जाए।  पूजा-पाठ सब विश्वास की बाते हैं और इन्ही विश्वास के आधार पर नवरात्रों में मां के 9 रूपों की अलग-अलग दिन पूजा की जाती है। हर दिन जिस माता की पूजा होती है उन्हें उनकी पसंद के खाने का भोग लगाया जाता है जिसे भोग लगाने के बाद लोग प्रसाद के रूप में खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस दिन माता को कौन सा भोग लगाना चाहिए। नवरात्र की 9  देवियां, शक्ति के 9 स्वरुप की प्रतीक हैं। इन्हीं शक्ति के 9 स्वरुप को पाकर, आप जीवन में सुख समृद्धि से लेकर यश,कीर्ति  और भौतिक संसाधन हासिल कर सकते हैं।  अगर आप नवरात्रों में माता को हर दिन ये खास भोग लगाएंगे तो आपको भक्ति करने में और भी आनन्द महसूस होगा। अगर आप ये नहीं जानती कि कौन सी माता के लिए भोग में कौन सा प्रसाद बनाना है तो हम आपको ये बता रहे हैं।

Inna Khosla

Editorial

Updated:- 24 Mar 2020, 19:03 IST

पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा

Create Image :

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और इन्हें आरोग्य की देवी कहा जाता है यानि इनकी पूजा करने से आपको आरोग्य रहने का वरदान मिलता है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के पहले दिन गाय के शुद्ध देसी घी का भोग माता शैलपुत्री को लगाना चाहिए। ऐसे करने से आप निरोग और खुश रहते हैं।

दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

Create Image :

कहते मां ब्रह्मचारिणी की पूजा लोग दीर्घायु के लिए करते हैं और इनकी पूजी करने से आपको सुख समृद्धि मिलती है। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाना चाहिए। शक्कर मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय है और उन्हें शक्कर का भोग लगाने से माना जाता है कि अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। 

 

तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा

Create Image :

मां चंद्रघंटा को नवरात्र के तीसरे दिन दूध और दूध से बनी चीज़ों का भोग लगाया जाता है। खीर, बर्फी, मिठाई आप इन चीज़ो का मां चंद्रघंटा को भोग लगा सकते हैं। वैसे इस दिन आप मंदिर में या गरीबों को भी इन चीज़ों का दान दे सकती हैं। ऐसा करने से आपका हर दुख खत्म हो जायेगा और परमानंद की प्राप्ति होगी। भोग लगाने के बाद, दूध या दूध की मिठाई को मंदिर में ब्राह्मण को दान दें।

चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा

Create Image :

मां कूष्मांडा की पूजा करने से परीक्षा प्रतियोगिता में सफलता मिलती है ऐसा माना जाता है। नवरात्रों के चौथे दिन देवी को मां कूष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन ब्राह्मणों को मालपुए खिलाने चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा

Create Image :

नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है और इस दिन माता को केले का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है। केले का दान करने से भी फायदा होता है। नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा करने से आजीवन आरोग्य रहने का वरदान मिलता है।

छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा

Create Image :

मां कात्यायनी को नवरात्र के छठे दिन पूजा जाता है। कहते हैं इस दिन पूजा करने से आपको बहुत लाभ होता है। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से आकर्षण का आशीर्वाद मिलता है जो लोग टीवी, मीडिया और फिल्म में सफलता पाना चाहते हैं वो इस दिन माता की खास पूजा करते हैं और इस दिन उन्हें शहद का भोग लगाने के बाद प्रसाद के तौर पर इसे खाते भी हैं।

सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा

Create Image :

मां कालरात्रि की पूजा आकस्मिक संकट से रक्षा करने के लिए की जाती है। इस दिन ब्राहम्णों को भी दान दिया जाता है। मा कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि गुड़ मां कालरात्रि का प्रिय है। गुड़ का भोग लगाने के बाद लोग इसे प्रसाद के तौर पर खाते भी हैं।

आठवें दिन होती है मां महागौरी की पूजा

Create Image :

अष्टमी के दिन कुछ लोग कन्या पूजन भी करते हैं इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है और उन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है जिन लोगों को संतान से जुड़ी समस्याएं होती है वो सब महागौरी की पूजा करने से दूर हो जाती हैं।

नौवें दिन होती है मा सिद्धिदात्री की पूजा

Create Image :

नवरात्र के नौ दिन मां के हर रूप को हर दिन पूजा जाता है और सबसे आखिरी दिन में मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा होता है और ये माना जाता है कि इस दिन माता को तिल का भोग लगाते हैं। जिन लोगों को आकस्मिक मृत्यु का भय होता है वो मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।