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ताजमहल तो कई बार देखा होगा आपने, अब जानिए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें

प्यार के प्रतीक की निशानी के रूप में देखा जाने वाले आगरा के ताजमहल की गिनती दुनिया के सात अजूबों में होती है और सिर्फ भारत से ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से लोग इस खूबसूरत ताजमहल को देखने के लिए आते हैं। ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। अरबी में ताजमहल को महलों का ताज कहा जाता है। इसे मुख्य रूप से हिंदू राष्ट्र में इस्लामी कला का गहना कहा जाता है। यह इस्लामी, फारसी, तुर्की और भारतीय आर्किटेक्चरल स्टाइल को प्रदर्शित करता है। वैसे तो ताजमहल के बारे में काफी हद जानकारी लोगों को है ही लेकिन आज हम आपको ताजमहल से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं, जो यकीनन आपको भी काफी दिलचस्प लगेंगे- 

Mitali Jain

Editorial

Updated:- 20 Jun 2021, 11:06 IST

तो होता काला ताजमहल

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क्या आप जानती हैं कि देश में सफेद संगमरमर के ताजमहल के अलावा काले संगरमरमर से बना ताजमहल भी होता। किंवदंती है कि सम्राट शाहजहाँ ने ताजमहल के निर्माण कार्य का काम पूरा होने के बाद नदी के उस पार काले संगमरमर में एक और ताजमहल बनाने का इरादा किया था, लेकिन किन्हीं कारणों से उनका युद्ध उनके बेट औरंगजेब के साथ हुआ। उस दौरान शाहजहाँ को 1658 में उसके बेटे औरंगजेब ने नजरबंद कर दिया था। जिसके कारण शाहजहाँ की यह योजना पूरी नहीं हो पाई।

बदलता है रंग

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एक बात जो ताजमहल को यकीनन एक अजूबा बनाती है, वह है उसका बदलता रंग। प्रकाश की मात्रा और समय के आधार पर ताज अपना रंग बदलता है। ताजमहल सुबह के समय गुलाबी, शाम को दूधिया सफेद और चांदनी में सुनहरा दिखाई देगा। अगर आप कभी ताजमहल देखने गए हैं, तो आपने शायद इस पर गौर किया होगा। यदि नहीं तो अगली बार जब भी आप उसे देखें तो इस बार अवश्य गौर कीजिएगा। 

1857 विद्रोह ने पहुंचाया नुकसान

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यह तो हम सभी जानते हैं कि ताजमहल बनवाने के लिए दुनियाभर से लाए गए कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन क्या आपको यह पता है कि 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा मकबरे की दीवारों से कई कीमती पत्थरों को तोड़ दिया गया था।

भूकंप का नहीं होगा असर

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भूकंप या किसी प्राकृतिक आपदा पर किसी का बस नहीं चलता। लेकिन ताजमहल प्राकृतिक आपदा से भी सुरक्षित है। यदि ध्यान से देखा जाए तो चार स्तंभ या मीनार सीधे खड़े होने के बजाय बाहर की ओर झुकी होती हैं। इसका निर्माण इस तरह से इसलिए किया गया था ताकि भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में मीनारों के गिरने से मुख्य मकबरे (गुंबद) को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके।

कुतुब मीनार से भी है लंबा

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कुतुब मीनार को ताजमहल से भी उंचा माना जाता है। अगर आप भी ऐसा ही सोचती है तो आप गलत है। वास्तविकता तो यह है कि ताजमहल कुतुब मीनार (पांच फीट के अंतर के साथ) से लंबा है।

मध्य प्रदेश में होता ताजमहल

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सुनने में आपको शायद अजीब लगे लेकिन पहले ताजमहल आगरा में नहीं बनाया जाना है। इससे पहले ताजमहल बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में बनना था जहां मुमताज की प्रसव के दौरान मौत हो गई थी। लेकिन दुर्भाग्य से, बुरहानपुर पर्याप्त सफेद संगमरमर की आपूर्ति नहीं कर सका और इसलिए आगरा में ताजमहल बनाने का अंतिम निर्णय लिया गया। 

मजदूरों के नहीं कटे थे हाथ

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ताजमहल को लेकर एक प्रमुख किदवंती यह है कि ताजमहल बनने के बाद शाहजहां ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि ऐसा स्मारक दोबारा ना बनाया जा सके। हालांकि, इस बात को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य आज तक नहीं मिला है। यह बात एक कहानी इसलिए भी लगती है, क्योंकि उस्ताद अहमद लाहौरी (ईरान से एक फारसी) जो आर्किटेक्ट टीम के सुपरवाइजर थे, ने लाल किले की भी नींव रखी थी। हो सकता है कि ऐसा इसलिए कहा जाता हो, क्योंकि ताजमहल बनने के बाद शाहजहां ने मजदूरों को काफी बड़ा ईनाम दिया था और इसलिए मजदूरों ने ऐसा कहा हो कि बादशाह ने तो हमारे हाथ ही कटवा दिए। 

लकड़ी से बनी है नींव

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यह भी एक हैरान कर देने वाला फैक्ट है। क्या आपको पता है कि ताजमहल की नींव यमुना किनारे न होती तो ढह जाती। हां, ताज की नींव लकड़ी से बनी है जो लंबे समय तक चलने वाली नहीं है। यह लकड़ी समय के साथ कमजोर हो गई होगी होती, लेकिन यह यमुना नदी के कारण है कि लकड़ी को आज तक मजबूत और नम रखा गया है।