साल में दो बार प्रकट नवरात्रि होती है और दो बार गुप्त नवरात्रि। जहां प्रकट नवरात्रि की पूजा हर कोई कर सकता है, वहीं गुप्त नवरात्रि की पूजा तंत्र साधना करने वाले भक्त करते हैं। बता दें कि प्रकट और गुप्त दोनों ही नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। गुप्त नवरात्रि साल के माघ और आषाढ़ मास में मनाया जाता है, तो वहीं प्रकट नवरात्रि चैत्र और अश्विन मास में मनाया जाता है। इस साल आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई शनिवार से शुरू होने वाली है, यह हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। बता दें कि गुप्त नवरात्रि में पूजे जाने वाली मां दुर्गा के नौ रूप प्रकट नवरात्रि में पूजे जाने वाली मां दुर्गा के रूपों से अलग होती है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको मां दुर्गा के इन नौ रूपों के बारे में बताएंगे, जो गुप्त नवरात्रि में पूजी जाती हैं।
काली, कालिका या महाकाली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। मां काली मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी हैं। यह सुन्दर रूप वाली आदिशक्ति दुर्गा माता की काला, विकराल और भयप्रद रूप है। मां काली की उत्पत्ति असुरों के संहार के लिये हुई थी।
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गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा देवी को समर्पित है। महाविद्या तारा देवी के भी 3 रूप हैं- उग्र तारा, एक जटा और नील सरस्व। मां तारा देवी को श्मशान की देवी भी कहा जाता है।
देवी ललिता को ही मां त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है। मां ललिता माहेश्वरी शक्ति की विग्रह वाली शक्ति हैं। मां त्रिपुर सुंदरी के तीन नेत्र, चार हाथ हैं, जिसमें पाश, अंकुश, धनुष और बाण सुशोभित हैं। मां त्रिपुर सुंदरी 16 (षोडश) कलाओं से परिपूर्ण हैं इसलिए माता को षोडशी के नाम से भी जाता है।
मां दुर्गा के भुवनेश्वरी रूप का अर्थ है संसार भर के ऐश्वर्या की स्वामिनी। आदिशक्ति मां दुर्गा के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप हैं, मां भुवनेश्वरी। मां दुर्गा ने अपने भुवनेश्वरी रूप में ही त्रिदेव को दर्शन दिये थे।
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छिन्नमस्ता माता को मां दुर्गा का ही रूप हैं, जो कि काफी उग्र स्वरूप में रहती हैं। माता छिन्नमस्ता के एक हाथ में स्वयं का ही कटा हुआ सिर है और इनकी उपासना एवं पूजा से जीवन के सभी कष्ट और भय से मुक्ति मिलती है।
महाविद्या की छठी शक्ति है मां त्रिपुर भैरवी। मां त्रिपुर भैरवी को मां काली का ही स्वरूप माना गया है। त्रिपुर का अर्थ सृष्टि के तीनों लोकों से है और भैरवी का संबंध भगवान काल भैरव से है। मां भगवती त्रिपुर भैरवी का स्वरूप मां काली के समान है।
मां धूमावती दुर्गा का ही रूप हैं, जो कि देवी की विधवा स्वरूप हैं। मां धूमावती की पूजा सुहागन महिलाएं नहीं करती हैं। मां धूमावती सफेद वस्त्र धारण किए हुए बाल खुले रखती हैं। कथाओं के अनुसार मां धूमावती को पार्वती का उग्र स्वभाव माना गया है।
मां दुर्गा की स्वरुप माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रु भय से मुक्ति मिलती है। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के इस बगलामुखी रूप की पूजा की जाती है। इनकी साधना और पूजा से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
मां दुर्गा की रूप माँ कमला 10 महाविद्या में से दसवीं महाविद्या हैं। शास्त्रों ने महाविद्या कमला को श्री हरी विष्णु की साथी बताया गया है। मां कमला देवी भगवान विष्णु की सबसे बड़ी ताकत है। माँ कमला देवी की पूजा करने से साधक को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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