Gupt Navratri 2024 Puja Vidhi and Mantra: हिन्दू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है। साल में कुल 4 बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र माह में, दूसरी माघ माह में, तीसरी आषाढ़ माह में और चौथी अश्विन माह में। चैत्र और अश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि मुख्य होती हैं जबकि अन्य दो माह की नवरात्रि गुप्त कहलाती हैं।
अभी माघ माह चल रहा है। ऐसे में माघ माह की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू होने वाली है। यूं तो इस नवरात्रि में घरों में पूजा-पाठ नहीं होता है लेकिन अगर आप पूजा करना चाहते हैं तो ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस विधि से पूजा कर सकते हैं और सामग्री एवं मंत्रों के बारे में जान सकते हैं।
माघ माह की गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र।
कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि घर ले आएं।
माघ माह की गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि सरल होती है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करें और नए वस्त्र धारण करें। फिर मां दुर्गा का ध्यान करें। इस बात का ख्याल रखें कि माघ गुप्त नवरात्रि का व्रत नहीं रखा जाता है। मां दुर्गा का ध्यान करने के बाद उन्हें स्नान कराएं, वस्त्र धारण कराएं, श्रृंगार करें।
मां को धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें, मां को चुनरी उढ़ाएं। मां के मंत्रों का जाप करें। उन्हें भोग लगाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। मां दुर्गा की आरती उतारें। भोग को प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों के बीच वितरित करें और खुद भी खाएं। सभी सुख देने के लिए मां का धन्यवाद करें।
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ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।। दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि, सामग्री और मंत्र के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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