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जैन धर्म में क्यों करते हैं संत खुदकुशी? जानें अनोखी परंपरा

जैन संतों द्वारा ली जाने वाली समाधि को सल्लेखना कहते हैं। जैन धर्म के अनुसार, सल्लेखना एक प्रकार की आत्महत्या है। सल्लेखना के माध्यम से जैन संत नश्वर जीवन की मुक्ति बिना किसी विशेष कर्मकांड के प्राप्त करते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-02-22, 19:34 IST

Kya Hoti Hai Sallekhana Pratha: जैन धर्म में भी हिन्दू धर्म की तरह ही महासमाधि ली जाती है। जैन धर्म की समाधि को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह सवाल है कि जैन धर्म में समाधी के क्या मायने हैं, कैसे ली जाती है समाधी और क्या होता है सल्लेखना, इसे क्यों कहते हैं ख़ुदकुशी। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से। 

जैन धर्म में क्या होता है सल्लेखना?

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जैन संतों द्वारा ली जाने वाली समाधि को सल्लेखना कहते हैं। जैन धर्म के अनुसार, सल्लेखना एक प्रकार की आत्महत्या है। सल्लेखना के माध्यम से जैन संत नश्वर जीवन की मुक्ति बिना किसी विशेष कर्मकांड के प्राप्त करते हैं। हालांकि सल्लेखना से जुड़े कुछ नियम भी मौजूद हैं।

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जैन धर्म में अगर किसी संत को समाधि यानी कि सल्लेखना लेनी है तो उसके लिए उन्हें अहिंसा, संपत्ति का संचय, झूठ बोलना, चोरी आदि कृत्यों का त्याग करना पड़ता है। असल में जैन धर्म में सल्लेखना परंपरा बहुत खास मानी जाती है। इस परंपरा का पालन मृत्यु आने पर करते हैं।(कैसे इस मंदिर में पांडवों ने बसाया था शिव परिवार?)

असल में, जब किसी व्यक्ति को यह लगता है कि उसकी मृत्यु आने को है और कुछ ही दिनों में उसका शरीर प्राण छोड़ सकता है, तब वह व्यक्ति स्वयं ही भोजन और जल का त्याग कर देता है। दिगंबर जैन शास्त्र के अनुसार इसे ही महासमाधि या सल्लेखना कहा जाता है। 

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ऐसा कहते हैं कि सल्लेखना का पालन करना बहुत कठिन होता है। इस दौरान शरीर को बहुत कष्ट भोगना पड़ता है। इस परंपरा का इतिहास भी है, जिसके मुताबिक ‘जैन’ शब्द की उत्पत्ति जिन या जैन से हुई है जिसका अर्थ ‘विजेता’ होता है। जैन धर्म में मृत्यु को विजय माना जाता है।

ऐसे में जैन धर्म के संत जब सल्लेखना लेते हैं यानी कि समाधि लेते हैं तब उनके लिए यह मृत्यु का समय विजय प्राप्त करने के समान होता है। इसी कारण से सल्लेखना के दौरान नियमों का पालन जैन धर्म में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। 

 

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्या होता है सल्लेखना और क्यों जैन धर्म में इसे ख़ुदकुशी का नाम दिया गया है। साथ ही, जानें इस परंपरा का महत्व। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।  

image credit: herzindagi 

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