मृतक की तस्वीर के सामने क्यों जलाई जाती है अगरबत्ती?

हिंदू धर्म में अगरबत्ती को जलाना शुभ नहीं माना जाता है। अब ऐसे में सवाल है कि मृतक की तस्वीर के सामने अगरबत्ती क्यों जलाई जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है, और इसमें धूप-दीप का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है। जहां घी का दीपक या धूपबत्ती को अत्यधिक शुभ माना जाता है, वहीं अगरबत्ती के प्रयोग को लेकर कई जगहों पर शुभ नहीं माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बांस वंश का प्रतीक है। इसे जलाने से वंश वृद्धि में बाधा आ सकती है, या पितरों को कष्ट हो सकता है। वास्तु शास्त्र में भी बांस को घर में लगाना शुभ माना जाता है, लेकिन इसे जलाना अशुभ बताया गया है। अब ऐसे में सवाल है कि मृतक के सामने ही क्यों अगरबत्ती जलाने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

पूजा-पाठ में अगरबत्ती क्यों नहीं जलाई जाती है?

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हिंदू धर्म में, बांस को जलाना शुभ नहीं माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, बांस को वंश वृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे जलाने से वंश को हानि पहुंचती है और पितृदोष लगता है। इसके अलावा, बांस से बनी किसी भी चीज को हवन या किसी अन्य धार्मिक अनुष्ठान में जलाना अशुभ माना जाता है। इसलिए अगर आप भगवान की पूजा में अगरबत्ती का उपयोग कर रहे हैं तो आज ही बंद करें और धूपबत्ती का उपयोग करें।

मृतक के तस्वीर के सामने अगरबत्ती जलाने का महत्व

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हिंदू धर्म में जब किसी जातक की मृत्यु हो जाती है तो उसे बांस की टांट पर लेटाया जाता है और इसे बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही अगर आप अगरबत्ती जला रहे हैं तो मृतक व्यक्ति के सामने इसे जलाई जाती है। यह इस बात का प्रतीक है कि घर में आगे वंश वृद्धि के साथ-साथ घर परिवार में उन्नति आए। अगरबत्ती जलाने से आशय है कि घर की एक पीढ़ी की व्यक्ति की मृत्यु हो गई और इसका समय समाप्त हो चुका है और अब यह दर्शाता है कि आगे घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आए। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप पूजा-पाठ में अगरबत्ती का प्रयोग न करें। इसे शुभ नहीं माना जाता है। पूजा-पाठ सभी मांगलिक कार्यों को दर्शाते हैं और अगरबत्ती अशुभता का संकेत है कि एक वंश समाप्त हो चुका है।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • पूर्वजों की तस्वीरें कैसी होनी चाहिए?

    वास्तु के अनुसार पितरों की तस्वीर हमेशा उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए। चूंकि दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है इसलिए उत्तर दिशा में तस्वीर लगाने से तस्वीर का मुंह दक्षिण दिशा की और होता है। इसलिए पितरों की तस्वीर ऐसे लगाएं कि तस्वीर का मुख दक्षिण दिशा की ओर रहे।
  • मृत व्यक्ति के कपड़े पहनने से क्या होता है?

    गरुड़ पुराण में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि परिवार के किसी भी व्यक्ति को मृत व्यक्ति के वस्त्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भूलकर भी अपने शरीर पर इन्हें धारण नहीं करना चाहिए।