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Gujarati Wedding Rituals: गुजराती शादी में क्यों लिए जाते हैं सिर्फ 4 ही फेरे?

हिन्दू धर्म में शादी से जुड़े कई रीति-रिवाज होते हैं। खास बात यह है कि जब बात अलग-अलग प्रान्तों की आती है तब रीति-रिवाजों में जहां कुछ हद तक समानताएं होती हैं तो वहीं भिन्नता भी होती है। 
Editorial
Updated:- 2023-09-26, 19:17 IST

Marriage Rituals: हिन्दू धर्म में शादी से जुड़े कई रीति-रिवाज होते हैं। हर रीति-रिवाज का अपना महत्व है और उसके पीछे छिपे हैं कई कारण। 

खास बात यह है कि जब बात अलग-अलग प्रान्तों की आती है तब रीति-रिवाजों में जहां कुछ हद तक समानताएं होती हैं तो वहीं भिन्नता भी होती है।

ठीक ऐसे ही फेरों को लेकर यह कहा जाता है कि शास्त्रों में दूल्हा-दुल्हन द्वारा सात फेरे लेने का विधान है क्योंकि सात फेरों के साथ 7 वचन जुड़े हैं।

वहीं, कुछ स्थानों पर सिर्फ चार फेरे लेने की परंपरा चली आ रही है। इन्हीं जगहों में से एक है गुजरात, जहां चार फेरों के साथ ही विवाह संपन्न होता है।

ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जब हमने इस बारे में पूछा तब उन्होंने हमें इससे जुड़ी कई दिलचस्प बातें बताईं जो वाकई बहुत हैरतंगेज थी।

  • दरअसल, ऐसा कहा गया है कि शास्त्रों में सात फेरों के विधान के बारे में कोई भी जानकारी वर्णित नहीं है। ग्रंथों में भी चार फेरों की ही बात मौजूद है।
  • हां, लेकिन सात वचनों के बारे में जरूर लिखा है। अब रही बात चार फेरों की तो वह चार भावनाओं को दर्शाते हैं: धर्म, अर्थ, काम और अंतिम है मोक्ष।

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  • असल में धर्म शास्त्रों में चार फेरों को इन्हीं चार चीजों से जोड़कर बताया गया है। गृहस्थ जीवन में इन चार चीजों को एक साथ लेकर चलने का महत्व है।
  • विवाह के बाद जब गृहस्थी शुरू होती है, तब दंपत्ति पूजा-पाठ (पूजा-पाठ के नियम), व्रत, हवन-यज्ञ, अनुष्ठान आदि के माध्यम से गृहस्थी को धर्म से जोड़ने का काम करते हैं। 

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  • वहीं, विवाह के बाद एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना के माध्यम से विवाह को काम से जोड़ते हैं और वैवाहिक जीवन (सुखी वैवाहिक जीवन के उपाय) को अर्थपूर्ण बनाने का काम करते हैं।

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  • आखिर में जब गृहस्थ जीवन की सभी जिम्मेदारियां पूर्ण हो जाती हैं तब फिर से भगवद भजन और पूजा से वैवाहिक जीवन को मोक्ष के साथ जोड़ते हैं।   
  • यही कारण है कि शास्त्रों में चार फेरों का वर्णन है लेकिन समय बीतने के साथ सात फेरों का प्रचलन कब शुरू हुआ इसके बारे में कोई जानकारी नहीं। 

 

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से जान सकते हैं कि आखिर क्यों गुजराती शादियों में दूल्हा-दुल्हन सिर्फ चार ही फेरे क्यों लेते हैं और क्या है इसके पीछे का महत्व। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।  

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