हिरण्यकश्यप का वध भगवान विष्णु के सबसे उग्र और रौद्र अवतारों में से भगवान नरसिंह ने किया था। हिरण्यकश्यप का वध करते समय भगवान नरसिंह इतने क्रोध में थे कि उनके क्रोध के प्रभाव से सृष्टि थर-थर कांपने लगी थी। कथा के अनुसार, ऐसा वर्णित है कि सिर्फ ओर सिर्फ उस समय में प्रहलाद जी ही थे जिन्होंने भगवान नरसिंह की स्तुति कर उन्हें शांत किया था। लेकिन भगवान नरसिंह से जुड़ा एक रहस्य है जो आज भी कायम है और वो यह कि जहां एक ओर भगवान विष्णु के सभी अवतार अवधि पूरी होने पर अपने धाम लौट गए वहीं, भगवान नरसिंह भगवान विष्णु में समाहित होने के बजाय कहीं और चले गए थे। इस बारे में आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भी नरसिंह भगवान का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। उनके क्रोध से तीनों लोकों में भय का वातावरण फैल गया था। देवता, ऋषि-मुनि और यहां तक कि स्वयं लक्ष्मी जी भी उनके पास जाने से डर रही थीं। तब देवताओं ने इस समस्या का हल निकालने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका।
जब सभी देवता हार मान गए तो उन्होंने भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद से अनुरोध किया। प्रहलाद ने नरसिंह भगवान के सामने जाकर उनकी स्तुति करना शुरू किया। प्रहलाद की भक्ति और प्रेम भरी स्तुति सुनकर नरसिंह भगवान का क्रोध धीरे-धीरे शांत होने लगा। उन्होंने प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाया और आशीर्वाद दिया। यही कारण है कि नरसिंह अवतार को भक्ति और प्रेम की शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है।
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इसके बाद, जब भगवान नरसिंह का क्रोध शांत हुआ तब वे अपने मूल रूप में लौट आए और प्रहलाद को राजपाट सौंपकर वहां से अदृश्य हो गए। इसके बाद, भगवान नरसिंह के कई निवास स्थान बताए जाते हैं। आंध्र प्रदेश का अहोबिलम सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध स्थान है। यहां नौ अलग-अलग नरसिंह मंदिर हैं जो 'नवा नरसिंह' के नाम से जाने जाते हैं। कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप वध के बाद भगवान नरसिंह ने यहीं पर निवास किया था।
शास्त्रों के अनुसार, कर्नाटक का श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर में पृथ्वी पर भ्रमण के समय भगवान नरसिंह ने यहां कुछ समय के लिए विश्राम किया था। उड़ीसा का नृसिंहनाथ मंदिर भी भगवान नरसिंह का विश्राम स्थान माना जाता है। हालांकि अगर शास्त्रों के अनुसार समझें तो उस हिसाब से आज भी भगवान नरसिंह अपने शांत स्वरूप में पृथ्वी पर ही निवास कर रहे हैं और किसी गुप्त स्थान पर तपस्या कर रहे हैं।
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