रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं। इस शुभ दिन पर कई लोग अपने घर के मंदिर में भगवान को भी राखी अर्पित करते हैं। यह राखी भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक होती है। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि रक्षाबंधन के बाद भगवान को बांधी गई इस राखी का क्या करना चाहिए। आइये जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
रक्षाबंधन के बाद देवी-देवताओं को बांधी हुई राखी का क्या करें?
भगवान को राखी बांधने का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह हमारी भक्ति, श्रद्धा और उनके प्रति समर्पण को दर्शाता है। हम अपने जीवन की सुरक्षा और खुशहाली के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
जब हम भगवान को राखी बांधते हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि हम उनसे अपने और अपने परिवार की रक्षा का वचन मांग रहे हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, राखी में लगे धागे और रंग का विशेष महत्व होता है।
कई बार राखी में लाल, पीला, हरा या सफेद धागा होता है जो अलग-अलग ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लाल रंग मंगल, पीला बृहस्पति, हरा बुध और सफेद शुक्र का प्रतीक होता है।
भगवान को राखी अर्पित करने से ये सभी ग्रह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और हमें बुरी शक्तियों से बचाते हैं। रक्षाबंधन के बाद भगवान को बांधी गई राखी को उतारने के लिए कोई खास नियम नहीं है।
आप इसे कुछ दिनों तक भगवान के समक्ष रखा रहने दे सकते हैं। जब राखी पुरानी हो जाए तो आप इसे उतारकर घर के मंदिर में रख सकते हैं। भगवान की राखी को किसी पवित्र नदी या जल स्रोत में विसर्जित करना सबसे अच्छा माना जाता है।
जल में विसर्जित करने से इसका धार्मिक महत्व बना रहता है और यह प्रकृति में भी मिल जाती है। विसर्जन करते समय मन में भगवान का स्मरण करें और उनसे अपनी रक्षा की प्रार्थना करें।
अगर आपके घर के पास कोई नदी या तालाब नहीं है तो आप इसे तुलसी के पौधे की मिट्टी में दबा सकते हैं। तुलसी को अत्यंत पवित्र पौधा माना जाता है और उसमें राखी रखना भी एक सम्मान जनक तरीका है। ऐसा करने से राखी की पवित्रता बनी रहती है।
कुछ लोग राखी को मंदिर की दान पेटी में भी रख देते हैं। यह भी एक अच्छा तरीका है। मंदिर में रखी गई राखी की पवित्रता बनी रहती है और उसे बाद में मंदिर के पुजारी द्वारा सम्मानपूर्वक विसर्जित कर दिया जाता है।
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भगवान की राखी को गलती से भी कूड़ेदान में न डालें। यह भगवान का अपमान माना जाता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। राखी को कहीं भी इधर-उधर फेंकना उचित नहीं है।
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image credit: herzindagi
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