Putrada Ekadashi Puja Vidhi 2025: सावन पुत्रदा एकादशी के दिन इस विधि से करें भगवान विष्णु का पूजा, जानें सामग्री, नियम और महत्व

Putrada Ekadashi Puja Vidhi or Samagri 2025: हिंदू धर्म में सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत बेहद सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से विष्णु जी की पूजा विधि और नियम के बारे में जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और यह मोक्ष तथा मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से सावन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। आइए इस लेख मेंज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठीसे विस्तार से जानते हैं।

यह एकादशी विशेष रूप से संतानहीन दंपत्तियों के लिए पुत्र रत्न की प्राप्ति की कामना से रखी जाती है, इसलिए इसे 'पुत्रदा' कहा जाता है। इसके साथ ही, यह व्रत संतान के सुखद भविष्य और परिवार में खुशहाली लाने वाला भी माना जाता है। अब ऐसे में जो महिलाएं इस दिन व्रत रख रही हैं, वह किस विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें, सामग्री क्या है और नियम क्या है।

सावन पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजा के लिए सामग्री

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  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र
  • गंगाजल
  • तुलसी दल
  • पंचामृत
  • फल
  • पुष्प
  • धूप और दीप
  • चंदन और रोली
  • अक्षत
  • नैवेद्य
  • नारियल
  • पान और सुपारी
  • लाल या पीले रंग का वस्त्र

सावन पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि

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  • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • पूरे घर और पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें।
  • भगवान को चंदन और रोली का तिलक लगाएं। पीले पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। तुलसी दल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं और इनके बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • भगवान को फल, नैवेद्य और पान-सुपारी अर्पित करें।
  • एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  • भगवान विष्णु की आरती करें।
  • "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। अपनी संतान प्राप्ति या कल्याण की कामना के लिए विशेष प्रार्थना करें।
  • अंत में भगवान को प्रणाम करें

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सावन पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा करने के नियम

  • एकादशी के दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। व्रती केवल फल, दूध, जल, और फलाहार कर सकते हैं।
  • दशमी तिथि से लेकर द्वादशी तिथि तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • दशमी और द्वादशी दोनों दिन प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा जैसे तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • इस दिन किसी पर क्रोध न करें, अपशब्द न बोलें
  • एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। तुलसी दल एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेने चाहिए।

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सावन पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व

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सावन पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं और उन्हें जगत का रक्षक माना जाता है। इस दिन उनकी आराधना करने से वे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आपको बता दें, इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करने से न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी आती है।

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Image Credit- HerZindagi

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