हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. प्रत्येक मास में दो एकादशी तिथियां आती हैं, जिनमें से एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में पड़ती है. सावन मास की पुत्रदा एकादशी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सावन के पवित्र महीने में आती है।आइए इस लेख में विस्तार सेज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठीसे विस्तार से जानते हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से निस्संतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है और जिनके संतान हैं, उनके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होता है. यह व्रत संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी रखा जाता है। अब ऐसे में इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रहीं हैं, वह किस विधि से पारण करें और पारण मुहूर्त क्या है।
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत पारण किस मुहूर्त में करें?
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। व्रत का पारण सही समय पर और सही विधि से न करने पर व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण हरि वासर की अवधि समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है। सावन पुत्रदा एकादशी का पारण बुधवार को यानी कि 06 अगस्त को किया जाएगा।
- पारण का शुभ मुहूर्त- सुबह 06:00 बजे से सुबह 08:30 बजे तक
- द्वादशी तिथि समाप्त- सुबह 10:45 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 21 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 09 मिनट तक
- अमृत काल - आज अमृत काल नहीं है।
- अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 15 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट से शाम 07 बजकर 42 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 05 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 46 मिनट तक
- संध्या मुहूर्त - शाम 7 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 9 बजकर 21 मिनट तक
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सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण किस विधि से करें?
- द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्नान के बाद एक बार फिर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। उन्हें पीले फूल, तुलसी दल, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- पारण करने से पहले किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और अपनी श्रद्धा अनुसार दान-दक्षिणा दें। ऐसा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- पारण के लिए सबसे पहले चावल ग्रहण करें। एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है, इसलिए पारण में चावल खाना शुभ माना जाता है। आप तुलसी दल का भी सेवन कर सकते हैं।
- व्रत के दौरान हुई किसी भी भूल के लिए भगवान विष्णु से क्षमा याचना करें और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
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सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का नियम क्या है?
- द्वादशी के दिन प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- व्रत का पारण करने से पहले किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या यथाशक्ति दान दें। गाय को चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है।
- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। पारण के लिए तुलसी दल और जल ग्रहण करना उत्तम माना जाता है। इसके बाद सात्विक भोजन कर सकते हैं।
- पारण करने के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
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Image Credit- HerZindagi
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