हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. प्रत्येक मास में दो एकादशी तिथियां आती हैं, जिनमें से एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में पड़ती है. सावन मास की पुत्रदा एकादशी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सावन के पवित्र महीने में आती है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से निस्संतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है और जिनके संतान हैं, उनके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होता है. यह व्रत संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी रखा जाता है। अब ऐसे में इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रहीं हैं, वह किस विधि से पारण करें और पारण मुहूर्त क्या है।
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। व्रत का पारण सही समय पर और सही विधि से न करने पर व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण हरि वासर की अवधि समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है। सावन पुत्रदा एकादशी का पारण बुधवार को यानी कि 06 अगस्त को किया जाएगा।
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