पिठोरी अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अमावस्या भाद्रपद महीने की अमावस्या को पड़ती है और इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं क्योंकि इस दिन कुश नामक घास एकत्रित की जाती है जिसका प्रयोग धार्मिक कार्यों में होता है। इस दिन तर्पण, श्राद्ध और दान करके पूर्वजों को संतुष्ट किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं पिठोरी अमावस्या पर कैसे करें पितरों की पूजा और क्या है पितृ दोष से मुक्ति के उपाय।
पिठोरी अमावस्या पर पितरों की पूजा विधि
सुबह का स्नान: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर घर पर ही स्नान करें।
तर्पण और श्राद्ध: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पित करें। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, गंगाजल, काले तिल, जौ और अक्षत मिलाकर तर्पण करें।
पिंडदान: अगर संभव हो तो किसी योग्य ब्राह्मण से श्राद्ध कर्म करवाएं और उन्हें भोजन कराकर दक्षिणा दें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं।
भोजन दान: इस दिन खीर, पूरी, पुए और हलवा जैसे पकवान बनाकर पितरों को अर्पित करें। भोजन को दक्षिण दिशा में रखकर पितरों का स्मरण करें। सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं।
पिठोरी अमावस्या पर पितृ दोष के उपाय
पीपल के पेड़ की पूजा: इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ होता है। पेड़ की जड़ में कच्चा दूध, गंगाजल और काले तिल मिलाकर चढ़ाएं। इसके बाद पितरों का स्मरण करते हुए सात परिक्रमा करें। शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का एक दीपक जलाएं।
दीपक दान: शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में एक घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि इससे पितरों को मार्ग में प्रकाश मिलता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गाय को भोजन: पिठोरी अमावस्या के दिन गाय को हरा चारा या पहली रोटी खिलाने से भी पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति आती है। साथ ही, पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
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मंत्र जाप: पितरों की आत्मा की शांति के लिए 'ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः' या 'ॐ वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करें। दूसरा मंत्र बागवान विष्णु का है क्योंकि वह पितरों के देवता कहलाते हैं।
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