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मिथुन संक्रांति के दिन करें इस चालीसा का पाठ, बाधाओं से मिल सकता है छुटकारा

हिंदू धर्म में मिथुन संक्रांति के सूर्यदेव की चालीसा का पाठ करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से सूर्य चालीसा का पाठ करने के महत्व और नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-06-12, 23:14 IST

मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य उपासना का विशेष महत्व होता है। सूर्य को आरोग्य और स्वास्थ्य का देवता माना जाता है। सूर्य चालीसा का पाठ करने से शारीरिक कष्टों, रोगों और व्याधियों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति निरोगी बनता है। सूर्य आत्मविश्वास, नेतृत्व और मान-सम्मान का प्रतीक हैं। मिथुन संक्रांति पर सूर्य पूजा और चालीसा पाठ करने से समाज और कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और पदोन्नति के योग बनते हैं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उन्हें मिथुन संक्रांति पर सूर्य पूजा और चालीसा पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे सूर्य मजबूत होता है और शुभ फल प्राप्त होते हैं। अब ऐसे में मिथुन संक्रांति के दिन सूरेय चालीसा का पाठ करने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

मिथुन संक्रांति के करें सूर्य चालीसा का पाठ

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मिथुन संक्रांति का दिन सूर्य देव की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है। इस साल मिथुन संक्रांति 15 जून 2025, रविवार को है।

दोहा
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

चौपाई
जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन। मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते। वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्रांशु प्रद्योतन, कहि कहि। मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर। हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी। तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैश्रवा सदृश हय जोते। देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर। सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै। हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं। मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै। दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह। विधि हरिहर कौ कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई। अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते। सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन। रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
यह चालीसा अद्भुत शुभकारी। जो प्रति दिन पढ़ि पावनकारी॥
करत कृपा प्रभु तुम मेरे उपर। दूर करो सब दुख के सागर॥
सूर्य चालीसा जो पढ़हि। सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होहिं सदा कृतकृत्य॥

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मिथुन संक्रांति के करें सूर्य चालीसा का पाठ करने का महत्व

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सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यदि कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, सेहत संबंधी समस्याएं, मानहानि और असफलता जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मिथुन संक्रांति पर सूर्य चालीसा का पाठ करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

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