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Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन इस योग में करें जलाभिषेक, पूरी होंगी मनोकामनाएं

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। 
Editorial
Updated:- 2024-06-06, 10:44 IST

(Jyeshtha Purnima 2024) हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ करने से साधक को विशेष लाभ की प्राप्ति हो सकती है। वहीं पंचांग के हिसाब से ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा-अर्चना करने से लाभ हो सकता है। बता दें, इस दिन शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है। जिसमें पूजा-पाठ करने से उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। अब ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना भाग्यशाली माना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि किस योग में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से लाभ हो सकता है। 

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन है दो शुभ योग 

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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन दो शुभ योग बनने जा रहा है। जिसमें भगवान शिव का जलाभिषेक करना उत्तम माना जाता है। 

  • ब्रह्म योग - सुबह 10 बजकर 37 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है। 
  • सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 7 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 06 मिनट तक है। 

भगवान शिव का जलाभिषेक कैसे करें? 

  • सबसे पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल या शुद्ध जल से धो लें।
  • भगवान शिव की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। यदि आपके पास शिवलिंग है, तो उसे गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ कर लें।
  • दीप प्रज्वलित करें और धूप जलाएं।
  • भगवान को फल, फूल, मिठाई अर्पित करें। 

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  • उसके बाद एक जल पात्र में गंगाजल लें। जल में थोड़ा सा दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, और बेल पत्र डालें।
  • मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करें। आप "ॐ नमः शिवाय", "महादेवाय नमः" जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
  • शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, चंदन, रोली, इत्र, पंचामृत, और नारियल चढ़ाएं।
  • जलाभिषेक के बाद आरती करें। 

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  • जलाभिषेक के लिए तांबे या पीतल के लोटे का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
  • जलाभिषेक करने से आरोग्य की प्राप्ति हो सकती है और रोगों का नाश होता है।
  • जलाभिषेक के साथ-साथ शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करें। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- HerZindagi

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