maa durga mantra for happiness

Navratri Special: ' या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः' क्‍या है इस शक्तिशाली मंत्र का मतलब? पंडित जी बता रहे हैं इसे जपने के जरूरी नियम

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता मंत्र का अर्थ और महत्व जानें। नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस शक्तिशाली मंत्र के जाप के नियम और लाभ पंडित जी से समझें।
Editorial
Updated:- 2025-09-24, 06:25 IST

Maa Durga मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” नवरात्रि की पूजा का बेहद खास हिस्सा माना जाता है। यह शक्तिशाली मंत्र दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में मिलता है और इसे देवी स्तुति खंड का अंग कहा गया है। इसमें माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की स्तुति और वंदना की गई है।

नवरात्रि में भक्त जब माता दुर्गा की पूजा करते हैं, तो वे भजन, कीर्तन और मंत्र जाप से देवी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इन सभी में यह श्लोक सबसे ज्यादा लोकप्रिय और असरदार माना जाता है। इसे न सिर्फ पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा बल्कि माँ दुर्गा तक अपनी प्रार्थना पहुँचाने का सबसे आसान और शक्तिशाली माध्यम माना जाता है।

क्‍या है इस मंत्र का अर्थ?

इस मंत्र का भावार्थ बहुत ही सुंदर और गहन है। इसमें कहा गया है कि-

"जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको हम बार-बार प्रणाम करते हैं, नमस्कार करते हैं।"

यह मंत्र हमें यह स्मरण कराता है कि मां दुर्गा केवल किसी मूर्ति या स्वरूप में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक जीव के भीतर विद्यमान हैं। वे कहीं बुद्धि बनकर मार्गदर्शन करती हैं, कहीं करुणा और दया का रूप धारण करती हैं, तो कहीं साहस और शक्ति के रूप में प्रेरित करती हैं।

इसे जरूर पढ़ें- नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा पढ़ते समय की गई इन 3 गलतियों से खंडित हो सकती है आपकी पूजा

3d-durga-goddess-navratri-celebration

मंत्र की विशेषता

  • इस स्तुति में मां दुर्गा के 32 से अधिक स्वरूपों का वर्णन मिलता है। हर स्वरूप किसी विशेष शक्ति या गुण का प्रतीक है।
  • यह मंत्र साधक को यह अनुभव कराता है कि देवी हर जगह हैं और हर स्थिति में हमारे साथ हैं।
  • इसके जाप से साधक को आध्यात्मिक बल, मानसिक शांति और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • शास्त्रों के अनुसार, यह सर्वसिद्धिदायक स्तुति है जो साधक के जीवन में भक्ति, संतोष, समृद्धि और आत्मबल का संचार करती है।

जप के नियम

पंडित सौरभ त्रिपाठी की माने तो इस मंत्र का जाप नवरात्रि में विशेष रूप से करना चाहिए। हालांकि, इसे आप अपनी नियमित पूजा में भी शामिल कर सकते हैं। मंत्र जपते समय साधक का मन शांत और एकाग्र होना चाहिए। शुद्ध स्थान पर बैठकर, श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करने पर ही इसका पूर्ण फल मिलता है।

नवरात्रि के दिनों में इस मंत्र का जाप सुबह और शाम दोनों समय करने से साधक पर मां की विशेष कृपा होती है। इसके अलावा, जाप के दौरान दीपक जलाना, धूप अर्पित करना और मां को लाल या पीले फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

इसे जरूर पढ़ें- नवरात्रि के दौरान तेल में भिगोकर गुड़हल का फूल माता रानी को अर्पित करने से क्या होता है?

"या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः" न केवल एक मंत्र है, बल्कि यह जीवन का वह सत्य भी है, जो हमें यह याद दिलाता है कि देवी की शक्ति हमारे भीतर और हमारे चारों ओर विद्यमान है। इसके जाप से साधक में संयम, धैर्य और आत्मबल विकसित होता है। यही कारण है कि इसे नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। उम्‍मीद है कि ऊपर दी गई जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। यदि यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर और लाइक करें। इसी तरह धर्म और अध्यात्म से जुड़े और भी लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

इसे जरूर पढ़ें-

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;