मां दुर्गा का 8वां स्वरूप वाकई में आपको मंत्रमुग्ध कर देगा क्योंकि महागौरी के स्वरूप में माता आति सुंदर नजर आती हैं। मां महा गौरी की पूजा नवमी की अष्टमी पर की जाती है। माता महा गौरी का स्वरूप बहुत ही सौम्य और ममतामई है। एक बैल पर सवार हो 4 भुजाओं वाली मां महागौरी को एक बार देख लो तो मन बस उन्हें निहारने का ही करता रहता है। पंडित सौरभ त्रिपाठी बताते हैं, "मां का यह स्वरूप माता पार्वती का है और उनके इसी स्वरूप ने शिव जी को प्राप्त करने की कठोर तपस्या की थी।" चलिए हम आपकेा बताते हैं कि मां महागौरी की पूजा के लिए किस सामग्री की आवश्यकता पड़ती है और उनकी पूजा की विधि और मंत्र क्या है।
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1- ॐ देवी महागौर्यै नमः
अर्थ: मैं माता महागौरी को प्रणाम करती हूं।
महत्व: साधारण और प्रभावी मंत्र, सभी पूजा के दौरान जाप किया जाता है।
2- या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
अर्थ: जो देवी सभी प्राणियों में मातृरूप में स्थित हैं, उन्हें नमन।
महत्व: माता महागौरी की शक्ति और करुणा का ध्यान करने हेतु।
3- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः
महत्व: इस मंत्र का जाप घर में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है।
मंत्र में तीन बीजाक्षर ‘ऐं’, ‘ह्रीं’, ‘क्लीं’ शक्ति और सफलता का प्रतीक हैं।
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