कैसे हुई थी पहले शिवलिंग की उत्पत्ति? शिव पुराण में बताया है किसने की थी पहली बार पूजन

सावन मास में शिवलिंग के पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में क्या आपको पता है कि शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई थी। यदि नहीं तो चलिए इस लेख में जानते हैं।

 
Significance of Shivling

22 जुलाई से सावन माह शुरू होने वाला है, हिंदू धर्म में सावन को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। सावन का यह माह भगवान शिव को बहुत प्रिय है, तभी तो उनके भक्त इस माह में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करते हैं, कांवड़ यात्रा करते हैं, शिवपुराण की कथा का आयोजन करवाते हैं। सावन के इस माह में शिवलिंग की पूजा का विशेष लाभ और महत्व है, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव के इस शिवलिंग स्वरूप की उत्पत्ति कैसे हुई थी और किसने पहली बार शिवलिंग की पूजा की थी। यदि नहीं तो चलिए जानते हैं इस लेख में।

कैसे हुई थी शिवलिंग की उत्पत्ति

Origin of Shivling

शिव पुराण की कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा देव के बीच कौन इस संसार का सर्वश्रेष्ठ देवता हैं, इसपर विवाद छिड़ गया। इस विवाद को लेकर दोनों शिव जी के पास गए तब, तब भगवान शिव ने इस विवाद को खत्म करने के लिए दोनों की परीक्षा ली। इस परीक्षा में के लिए शिव जी ने एक लीला रची और उस वक्त एक विशाल और चमकीला पत्थर प्रकट होता है। पत्थर के प्रकट होने के बाद देवताओं के द्वारा आकाशवाणी हुई और कहा गया कि इन दोनों देव में जो भी इस पत्थर के अंतिम छोर को खोज लेगा वही इस संसार का परम शक्तिशाली और सर्वश्रेष्ठ देवता होगा।

लंबे समय तक पत्थर के छोर की खोज करने में दोनों देव नाकाम रहे, जिसके बाद भगवान विष्णुने अपनी हार मान ली की वह इस पत्थर के छोर को नहीं खोज पाए। लेकिन ब्रह्मा देव ने झूठ कहा कि उन्होंने पत्थर का आखिरी छोर खोज लिया है। भगवान शिव को पता था कि ब्रह्मा देव झूठ बोल रहे हैं, जिससे भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और आकाशवाणी हुई और कहा कि मैं शिवलिंग हूं। न मेरा कोई अंत है और न कोई छोर है।

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किसने की पहली बार शिवलिंग की पूजा

Shivling history

आकाशवाणी होने के बाद ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु ने शिव को प्रणाम किया और उन्हें शिवलिंग रूप में प्रकट होइये। जिसके बाद भगवान शिव ब्रह्म देव और भगवान विष्णु के आग्रह पर शिवलिंग रूप में प्रकट हुए। शिव के शिवलिंग रूप का ब्रह्मा देव और भगवान विष्णु ने प्रणाम किया और उनकी पूजा कर उसे क्षमा मांगी। इसके बाद से सभी देवी और देवता भगवान शिव के इस शिवलिंग रूप की पूजा करने लगे।

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Image Credit: Freepik

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