
हिंदू धर्म में भाई दूज का त्योहार बेहद खास माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाती हैं और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और जीवन में सफलता की कामना करती हैं। यह त्योहार हर साल दो बार मनाया जाता है। भाई दूज का पहला पर्व होली के बाद और दूसरा दीपावली के बाद मनाया जाता है। होली भाई दूज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
इस पर्व को कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे भाई टीका, भाऊबीज, भाई बीज, भाई फोंटा, और भ्रातृ द्वितीया। इस साल, लोगों के बीच होली भाई दूज की तिथि को लेकर थोड़ी उलझन है कि यह 15 मार्च को मनाया जाएगा या 16 मार्च को। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से हम जानते हैं कि होली भाई दूज की सही तिथि क्या है, साथ ही तिलक करने के नियम और इसके महत्व के बारे में विस्तार से।

इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 15 मार्च को दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन, यानी 16 मार्च को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, और इस तिथि के अनुसार इस साल होली भाई दूज का त्योहार 16 मार्च को मनाया जाएगा।
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होली भाई दूज के दिन तिलक करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए। भाई को चौकी पर बैठाकर ही तिलक लगाना चाहिए, न कि खड़े होकर या कुर्सी पर बैठाकर। तिलक करते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जबकि बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए। तिलक के दौरान भाई की कलाई पर कलावा बांधें और आरती करें।
तिलक शुभ मुहूर्त में ही लगाना चाहिए, और भद्रकाल में तिलक लगाना निषेध है। इसके अलावा, तिलक लगाए बिना भाई से कोई गिफ्ट न लें। इस दिन भाई और बहन दोनों को सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक भोजन से बचना चाहिए। साथ ही, इस दिन भाई-बहन के बीच किसी भी प्रकार के लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए, ताकि यह पर्व प्रेम और सद्भाव के साथ मनाया जा सके।
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होली भाई दूज पर बहन का भाई को तिलक करने का विशेष महत्व है। यह परंपरा भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करती है और एक-दूसरे के प्रति स्नेह और प्रेम को बढ़ाती है। इस दिन, बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती है। यह तिलक भाई के लिए सुरक्षा का प्रतीक भी होता है, क्योंकि बहन उसके जीवन में आने वाली कठिनाइयों से बचाने के लिए इस परंपरा को निभाती है।
तिलक के साथ बहन भाई को कलावा बांधती है, जो उसकी रक्षा का संकेत होता है। इस दिन का महत्व सिर्फ एक पारिवारिक परंपरा नहीं, बल्कि एक धार्मिक क्रिया भी है, जो भाई के जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि लाने के लिए की जाती है। इस प्रकार, तिलक करना भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास, सम्मान और स्नेह को और भी बढ़ाता है, जिससे उनके बीच का बंधन और भी गहरा होता है।
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