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Hariyali Amavasya 2024: हरियाली अमावस्या के दिन करें इस कवच का पाठ, कुंडली में राहु नहीं करेगा परेशान

पंचांग के अनुसार, 4 अगस्त, दिन रविवार को हरियाली अमावस्या पड़ रही है। जहां एक ओर हरियाली अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ-साथ भगवान शिव शंकर शंभू और माता पार्वती की पूजा का विधान है। वहीं, अमावस्या तिथि होने के कारण इस दिन राहु का प्रभाव भी देखने को मिलेगा।   
Editorial
Updated:- 2024-07-31, 23:00 IST

ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से अमावस्या तिथि का प्रतिनिधित्व राहु ग्रह करता है। इसी कारण से अमावस्या के दिन राहु से जुड़े उपाय करने की सलाह दी जाती है। पंचांग के अनुसार, 4 अगस्त, दिन रविवार को हरियाली अमावस्या पड़ रही है। जहां एक ओर हरियाली अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ-साथ भगवान शिव शंकर शंभू और माता पार्वती की पूजा का विधान है। 

वहीं, अमावस्या तिथि होने के कारण इस दिन राहु का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। अगर आपकी कुंडली में राहु कमजोर है या आपको परेशान कर रहा है तो हरियाली अमावस्या के दिन एक सरल उपाय आप कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि राहु को मजबूत करने के लिए हरियाली अमावस्या के दिन राहु कवच का पाठ करना चाहिए। 

राहु कवच का पाठ करने से कुंडली में राहु की दिशा और दशा मजबूत होती है। राहु के दुष्प्रभाव के कारण जो भी जीवन में परेशानियां पैदा हो रही हैं या फिर शुभ काम में बार-बार बाधाएं आ रही हैं वो सभी दूर हो जाती हैं। ज्योतिष शास्त्र में राहु कवच का पाठ करना बहुत शुभ और हितकारी माना जाता है। इससे व्यक्ति को जीवन में राहु की शुभता मिलने लगती है। 

हरियाली अमावस्या 2024 राहु कवच का पाठ 

benefits of chanting rahu kavach path on hariyali amavasya

अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमंत्रस्य चंद्रमा ऋषिः । अनुष्टुप छन्दः । रां बीजं I नमः शक्तिः । स्वाहा कीलकम्। राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।।

प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिन् ।। सैन्हिकेयं करालास्यं लोकानाम भयप्रदम् ।।

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निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः। चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ।। 

नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम। जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः ।।

significance of chanting rahu kavach path on hariyali amavasya

भुजङ्गेशो भुजौ पातु निलमाल्याम्बरः करौ । पातु वक्षःस्थलं मंत्री पातु कुक्षिं विधुंतुदः ।।

कटिं मे विकटः पातु ऊरु मे सुरपूजितः । स्वर्भानुर्जानुनी पातु जंघे मे पातु जाड्यहा ।।

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गुल्फ़ौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः । सर्वाणि अंगानि मे पातु निलश्चंदनभूषण: ।।

राहोरिदं कवचमृद्धिदवस्तुदं यो। भक्ता पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन् । प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायु रारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात् ।।

इति श्रीमहाभारते धृतराष्ट्रसंजयसंवादे द्रोणपर्वणि राहुकवचं संपूर्णं ।।

 

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर हरियाली अमावस्या के दिन कौन सा पाठ करने से राहु के दुष्प्रभाव को कुंडली में कम किया जा सकता है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

image credit: herzindagi

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