गुस्सा एक ऐसी भावना है जो सबसे पहले हमें खुद को ही नुकसान पहुंचाती है। हमारे धर्म शास्त्रों और ज्योतिष में भी क्रोध को बहुत बुरा माना गया है। खासकर कुछ ऐसे लोग हैं जिन पर कभी भी गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हमारे भाग्य पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। यह सिर्फ सामाजिक व्यवहार की बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय कारण भी हैं। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
हिंदू धर्म में बच्चों को 'बालक रूप भगवान का' कहा जाता है। इसलिए, बच्चों पर गुस्सा करना या उन्हें डांटना भगवान का अपमान करने जैसा माना जाता है। कहते हैं कि बच्चों के आंसू किसी भी घर की खुशहाली को छीन सकते हैं। उनकी मासूमियत पर किया गया क्रोध व्यक्ति के पुण्य कर्मों को नष्ट कर देता है।
ज्योतिष में बच्चों का संबंध गुरु ग्रह से माना जाता है। गुरु ज्ञान, सम्मान, समृद्धि और संतान का कारक ग्रह है। अगर आप बच्चों को डांटते या उन पर गुस्सा करते हैं, तो आपका गुरु ग्रह कमजोर होता है। इससे आपके जीवन में धन की हानि, मान-सम्मान में कमी और संतान से जुड़ी परेशानियां आ सकती हैं।
बीमार व्यक्ति की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म माना गया है। जब कोई पहले से ही दुखी है, तो उस पर गुस्सा करके आप उसके कष्ट को और बढ़ा रहे होते हैं। ऐसा करना अमानवीय माना जाता है और इससे आपके कर्म खराब होते हैं। बीमार व्यक्ति के दुख से निकली आह आपके लिए दुर्भाग्य का कारण बन सकती है।
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स्वास्थ्य का संबंध सूर्य, चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों से होता है। जब कोई व्यक्ति बीमार होता है, तो उसके ये ग्रह कमजोर होते हैं। ऐसे में उस पर गुस्सा करने से ये ग्रह और भी कमजोर हो जाते हैं, जिसका सीधा असर आप पर भी पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि बीमार व्यक्ति को कष्ट पहुँचाने से आपको भी भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
एक गर्भवती महिला को शक्ति स्वरूप माना गया है, क्योंकि वह नई सृष्टि का निर्माण कर रही है। उस पर गुस्सा करना या उसे मानसिक तनाव देना गर्भ में पल रहे शिशु और मां दोनों के लिए बहुत हानिकारक होता है। यह एक गंभीर पाप माना जाता है, जिसका दंड व्यक्ति को भोगना पड़ता है।
ज्योतिष में गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु का संबंध चंद्रमा (भावनाओं का ग्रह) और गुरु ग्रह (संतान का ग्रह) से होता है। अगर आप किसी गर्भवती महिला पर गुस्सा करते हैं तो आप उसके चंद्रमा को कमजोर करते हैं, जिससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। साथ ही, यह गुरु ग्रह को भी नाराज कर सकता है जिससे आपके परिवार में आने वाले समय में खुशियों और समृद्धि की कमी हो सकती है।
धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि गुरु ही वह हैं जो हमें सही रास्ता दिखाते हैं। "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।" यह दोहा गुरु के महत्व को बताता है। गुरु पर गुस्सा करना या उनका अपमान करना सभी पापों में सबसे बड़ा पाप है। ऐसा करने से आपकी सारी मेहनत और ज्ञान व्यर्थ हो जाता है।
ज्योतिष में गुरु (शिक्षक) का सीधा संबंध गुरु ग्रह से होता है। यह ग्रह ज्ञान, सम्मान, आध्यात्मिक उन्नति और धन का कारक है। अगर आप अपने गुरु का अपमान करते हैं, तो आपका गुरु ग्रह कुंडली में कमजोर हो जाता है। इससे आपकी बुद्धि का नाश होता है, आपको धन की हानि हो सकती है और समाज में आपका सम्मान भी कम हो सकता है। यहाँ तक कि अगर आपकी कुंडली में बाकी ग्रह अच्छे भी हों, तो भी गुरु के नाराज होने पर आपको उनका शुभ फल नहीं मिल पाता।
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image credit: herzindagi
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