Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो देवी दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि का पर्व 30 मार्च से शुरू होने वाला है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान होने वाले बदलाव आपको शुभ और अशुभ समाचारों का संकेत होते हैं। ऐसे में नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना से लेकर विसर्जन तक खास बातों और नियमों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। कलश स्थापना का आयोजन पहले दिन होता है, जब घर में या मंदिर में एक मिट्टी के कलश को जल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्तों से सजाया जाता है, जिसे देवी के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
नवरात्रि के मौके पर ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं कि कलश की घटस्थापना, उत्पत्ति से लेकर गिरने और मंदिर में रखे गए नारियल में पौधा निकल आने तक जुड़े तमाम प्रश्नों के उत्तर और इसका क्या मतलब। आइए जानें विस्तार से सब कुछ
नवरात्रि में कलश क्यों रखते हैं?
नवरात्रि में कलश रखना एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसका उद्देश्य देवी शक्ति का आह्वान करना है। कलश को जल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्तों से सजाया जाता है, जो देवी के प्रतीक होते हैं। इसे घर में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कलश स्थापना से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-शांति रहती है। इसे गृह प्रवेश और सिद्धि के रूप में भी देखा जाता है। नवरात्रि के दौरान कलश की पूजा से बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिलता है।
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कलश कौन से भगवान का प्रतीक है?
हिन्दू धर्म में कलश को ब्रह्मा, विष्णु और शिव (त्रिमूर्ति) का प्रतीक माना जाता है। साथ ही यह मातृ शक्ति, त्रिगुणात्मक शक्ति और सभी देवी-देवताओं का निवास स्थान भी माना जाता है।
कलश की उत्पत्ति कैसे हुई?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई, जहां देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र को मथना शुरू किया, जिसके बाद धन्वंतरि जी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए।
घटस्थापना कौन कर सकता है?
नवरात्रि में घटस्थापना किसी भी व्यक्ति द्वारा की जा सकती है, लेकिन यह विशेष रूप से घर के प्रमुख व्यक्ति या पुजारी द्वारा की जाती है। जो व्यक्ति इस पूजा को करता है, उसे शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए। अगर घर में कोई महिला है, तो वह भी नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर सकती है, क्योंकि यह पर्व शक्ति की पूजा का होता है और महिलाएं शक्ति का रूप मानी जाती हैं।
कलश गिर जाए तो क्या होगा?
कई बार कलश स्थापना के दौरान हाथ से फिसल कर गलती से कलश गिर जाता है, तो धार्मिक दृष्टिकोण से इसे अशुभ माना जा सकता है, क्योंकि कलश शुभता और देवी की उपस्थिति का प्रतीक होता है। इस स्थिति में, सबसे पहले आपको शांत मन से स्थिति का समाधान करना चाहिए। यदि कलश गिर जाए, तो तुरंत उसे पुनः स्थापित करें और पूजा को फिर से सही तरीके से करें। आप इसे फिर से साफ करके, शुद्धता के साथ पुनः स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसे तुरंत पवित्र जल से धोकर फिर से शुभता के साथ स्थापित किया जाता है।
अमृत कलश कहां है?
अमृत कलश के बारे में कहा जाता है कि यह इंडोनेशिया के पूर्वी जावा प्रांत के कंडी सुकुह मंदिर में है। यह मंदिर माउंट लावू के ढलान पर बना है।
कलश पर रखे नारियल में पौधा निकलने का संकेत
अगर कलश पर रखे नारियल से पौधा निकल आए, तो इसे शुभ संकेत माना जाता है। यह घटना यह बताती है कि देवी मां की कृपा से घर में समृद्धि, सुख-शांति और विकास की संभावना है। साथ ही जीवन में नए अवसर, खुशहाली और आशीर्वाद का संकेत होता है।
पूजा में नारियल खराब निकलने से क्या होता है?
नारियल का खराब निकलना अशुभ नहीं, बल्कि शुभ माना जाता है। यह संकेत देता है कि आपकी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होने वाली हैं। जब भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाया गया नारियल फोड़ते समय साफ और सही निकलता है, तो उस प्रसाद को सभी के बीच बांटना चाहिए। नारियल को आपस में बांटना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह आशीर्वाद और समृद्धि का प्रतीक होता है।
पूजा के दौरान नारियल फटने से क्या होता है?
पूजा के दौरान नारियल का अपने आप फट जाना या खराब निकलना शुभ माना जाता है, यह संकेत देता है कि भगवान ने आपकी पूजा स्वीकार कर ली है और आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होंगी
नवरात्रि में क्या दान नहीं देना चाहिए?
नवरात्रि पर्व के नौ दिनों में किसी भी व्यक्ति को दूसरों को लोहे का सामान, तुलसी का पौधा और पुराने या इस्तेमाल किए हुए कपड़े इत्यादि दान नहीं करना चाहिए।
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