
23 अक्टूबर 2025 का पंचांग भाई दूज पर्व के कारण बहुत खास है जो दिवाली के त्योहार का अंतिम दिन होता है। यह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और गुरुवार का रहेगा जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए तिलक करती हैं। इस दिन तिलक करने का सबसे शुभ समय दोपहर 01:13 बजे से दोपहर 03:28 बजे तक रहेगा क्योंकि यह समय 'अपराह्न' काल कहलाता है और शास्त्रों में इसे भाई दूज के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन यमराज और उनकी बहन यमुना के मिलन की कथा भी जुड़ी है, इसलिए इस पर्व को पारिवारिक प्रेम और सुख-समृद्धि के लिए बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आइये जानते हैं आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| कार्तिक शुक्ल द्वितीया | विशाखा | गुरुवार | आयुष्मान | बालव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 6 बजकर 26 मिनट |
| सूर्यास्त | शाम 5 बजकर 43 मिनट |
| चंद्रोदय | सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर |
| चंद्रास्त | शाम 6 बजकर 34 मिनट पर |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 4 बजकर 45 मिनट से सुबह 5 बजकर 36 मिनट तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 5 बजकर 43 मिनट से शाम 6 बजकर 09 मिनट तक |
| भाई दूज तिलक मुहूर्त | दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से दोपहर 2 बजकर 53 मिनट तक |
| गुलिक काल | सुबह 9 बजकर 15 मिनट से सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक |
| यमगंड | सुबह 6 बजकर 26 मिनट से सुबह 7 बजकर 50 मिनट तक |

23 अक्टूबर 2025 को मुख्य रूप से भाई दूज या यम द्वितीया का त्योहार मनाया जाएगा जो दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का आखिरी दिन होता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है, जिसमें बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस दिन चंद्र दर्शन और चित्रगुप्त पूजा भी की जाती है जिसमें कलम और दवात की पूजा का विशेष महत्व होता है।
23 अक्टूबर 2025 को भाई दूज का त्यौहार है, इसलिए इस दिन भाई-बहन के प्रेम को बढ़ाने और भाई की लंबी उम्र के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। बहनें शुभ मुहूर्त में चावल के आटे का चौक बनाकर, भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बिठाकर रोली और अक्षत से तिलक करें, भाई के हाथ में कलावा बांधें और उनकी आरती उतारें, साथ ही यमराज का ध्यान कर भाई की सुख-समृद्धि की कामना करें। इसके बाद, भाई को अपने हाथ से बना सात्विक भोजन कराएं और भाई अपनी बहन को उपहार दें। यह करने से भाई को यमराज के भय से मुक्ति मिलती है और उनके रिश्ते में आजीवन प्रेम बना रहता है।
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image credit: herzindagi
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