
21 अक्टूबर 2025 के पंचांग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस दिन कार्तिक अमावस्या है जिसे स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन दर्श अमावस्या भी है जो धार्मिक अनुष्ठान और जप-तप के लिए महत्वपूर्ण है। यह तिथि शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी इसलिए सुबह और दिन के समय दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होगा। हालांकि एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी ने हमें बताया कि आज के दिन मंगलवार होने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जा सकता है जो कर्ज से मुक्ति और मंगल दोष शांत करने के लिए अच्छा माना जाता है पर मुख्य रूप से यह दिन पितरों को याद करने और पुण्य कर्म करने के लिए समर्पित है।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| कार्तिक अमावस्या (शाम 5:56 बजे तक)/प्रतिपदा | चित्रा | मंगलवार | विष्कुम्भ | नाग |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 6:25 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 5:44 बजे |
| चंद्रोदय | नहीं |
| चंद्रास्त | नहीं |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 4:44 बजे से सुबह 5:35 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक |
| प्रातः संध्या | सुबह 5:10 बजे से सुबह 6:26 बजे तक |
| अमृत काल | दोपहर 3:51 बजे से शाम 5:38 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 1:59 बजे से दोपहर 2:44 बजे तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 5:45 बजे से शाम 6:11 बजे तक |
| सायाह्न संध्या | शाम 5:45 बजे से शाम 7:01 बजे तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 2:55 बजे से शाम 4:20 बजे |
| गुलिक काल | दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 1:30 बजे |
| यमगंड | सुबह 9:16 बजे से सुबह 10:40 बजे |
| दुर्मुहुरत: पहला भाग | सुबह 8:41 बजे से सुबह 9:26 बजे |
| दुर्मुहुरत: दूसरा भाग | रात 10:59 बजे से रात 11:51 बजे |

21 अक्टूबर 2025 का दिन मुख्य रूप से कार्तिक अमावस्या के कारण खास है, जिसे स्नान और दान-पुण्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक रूप से इसे दर्श अमावस्या के रूप में भी मनाया जाता है, जो पितरों (पूर्वजों) के तर्पण (उन्हें जल अर्पित करना) और श्राद्ध कर्मों के लिए विशेष फलदायी होता है। इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहते हैं, जिसका लाभ कर्ज से मुक्ति पाने और मंगल दोष दूर करने के लिए उठाया जाता है, हालांकि दीपावली का मुख्य लक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर को होगा और 21 अक्टूबर को सूर्योदय से शाम तक अमावस्या होने के कारण यह दिन अमावस्या का स्नान-दान और पितृ कर्मों के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
21 अक्टूबर 2025 को कार्तिक मास की अमावस्या है, इसलिए इस दिन के उपाय मुख्य रूप से पितरों (पूर्वजों) को समर्पित होने चाहिए। इस दिन आपको सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। अमावस्या तिथि शाम 5:56 बजे तक है, इसलिए इस समय से पहले अपने पितरों के लिए जल, तिल और कुश से तर्पण करें। इसके अलावा, किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें, और पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।
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