हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है, सुबह जल चढ़ाकर कुमकुम, फूल और दीप से पूजन किया जाता है। घर के आंगन में तुलसी का होना बहुत शुभ फलदायी माना गया है। घरों में नियमित रूप से दोनों समय पूजा और दीप जलाने से घर में सौभाग्य एवं समृद्धि की वृद्धि होती है।
तुलसी भगवान विष्णु को भी बहुत प्रिय है, तभी तो नियमित रूप से उनके मस्तक पर तुलसी मंजरी चढ़ाया जाता है। जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा होता है उस घर में सुख-शांति का वास होता है। तुलसी की पूजा का कई विधान है, लेकिन तुलसी के पौधे में गन्ने का रस चढ़ाने का विशेष विधान बताया गया है।
पंडित शिवम पाठक के अनुसार तुलसी के पौधे में गन्ने का रस चढ़ाने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है, जीवन में तरक्की मिलती है और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
तुलसी में गन्ने का रस चढ़ाने से क्या होता है?
गन्ने का रस भगवान विष्णु समेत भगवान शिव और बाकी देवी देवताओं को बहुत प्रिय है। मान्यता है कि गन्ने की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है इसलिए इसे पवित्र माना गया है। पंडित जी ने बताया है कि शिवमाहापुराण की कथा के अनुसार जो कोई भी माता तुलसी को गन्ने का रस चढ़ाते हैं, तो उसकी मनोकामना पूरी होती है और घर में धन संपत्ति का आगमन शुरू हो जाता है। आर्थिक तंगी दूर होती है, पैसे की बचत होने लगती है और पैसे आने के नए रास्ते खुलते हैं।
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तुलसी में गन्ने का रस कैसे चढ़ाएं?
तुलसी में गन्ने का रस चढ़ाने का विधान है, इसके लिए तुलसी में पहले जल चढ़ाएं। फूल, कुमकुम, चंदन, सिंदूर आदि चढ़ाकर पूजा करें। फिर अपनी हथेली में थोड़ा गन्ने का रस लें और अपना नाम, गोत्र और मनोकामना बोलते हुए तुलसी के जड़ में गन्ने का रस चढ़ाएं। इसी विधि से पांच या सात बार गन्ने का रस चढ़ाएं। माता तुलसी से अपनी कामना कहें और प्रणाम कर पूजा संपन्न करें।
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तुलसी में गन्ने का रस कब-कब चढ़ाएं?
वैसे तो तुलसी में गन्ने का रस कभी भी चढ़ा सकते हैं, लेकिन यदि अधिक मास और सावन की पंचमी हो या फिर खास पर्व और तिथि में गन्ने का रस मिल जाए तो चढ़ा सकते हैं। गन्ने का रस वैसे दिसंबर से अप्रैल तक मिल जाता है, तो आप रोजाना भी बताए गए विधि के अनुसार चढ़ा सकते हैं।
नोट- तुलसी के जड़ में जरूरत से ज्यादा गन्ने का रस न चढ़ाएं नहीं तो आपका पौधा सूख सकता है। गन्ने का रस नियमित चढ़ाएं लेकिन मात्रा का विशेष ध्यान दें।
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