can we perform shraddha karma during maha kumbh 2025

Maha Kumbh 2025: क्या महांकुभ के दौरान कर सकते हैं श्राद्ध कर्म?

एक महीने तक चलने वाले इस महाकुंभ के दौरान कई प्रकार के कठिन नियमों का पालन किया जाता है। इसके अलावा, कई परम्पराएं निभाई जाती हैं। हालांकि, कुछ नियम सिर्फ और सिर्फ साधु-संतों के लिए होते हैं और कुछ सिर्फ गृहस्थ लोगों के लिए ही मान्य हैं।
Editorial
Updated:- 2025-01-10, 16:15 IST

महाकुंभ का आरंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के साथ होने जा रहा है। वहीं, इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के साथ होगा। महाकुंभ का सनातन परंपरा में बहुत महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ में संतों के दर्शन और शाही स्नान करने वाला व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है और एक बार जो महाकुंभ का हिस्सा बन गया उसके जीवन में देवी-देवताओं की कृपा और सुख-समृद्धि हमशा बनी रहती है।

एक महीने तक चलने वाले इस महाकुंभ के दौरान कई प्रकार के कठिन नियमों का पालन किया जाता है। इसके अलावा, कई परम्पराएं निभाई जाती हैं। हालांकि, कुछ नियम सिर्फ और सिर्फ साधु-संतों के लिए होते हैं और कुछ सिर्फ गृहस्थ लोगों के लिए ही मान्य हैं। कुछ लोक मान्यताएं भी हैं जिन्हें लोग निभाते तो हैं लेकिन बिना ये बात जाने कि ऐसा करना सही होगा भी या नहीं, जैसे कि महाकुंभ में श्राद्ध कर्म। आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से।

क्या महाकुंभ में श्राद्ध कर्म करना चाहिए?

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शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि महाकुंभ एक ऐसा महा पर्व है जो व्यक्ति को उसके जीते जी जीवन के कष्टों से मुक्ति दिला सकता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति करा सकता है। ऐसे में लोगों द्वारा अक्सर ये प्रयास किया जाता है कि किसी भी तरह इस महाकुंभ का हिस्सा बना जाए।

वहीं, कई लोग पितृ दोष से मुक्ति के लिए या फिर पितृ शांति के लिए भी महाकुंभ में भाग लेते हैं। लोगों को लगता है कि अगर महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम तट के किनारे पवित्र नदी में डुबकी लगाने के बाद श्राद्ध कर्म करेंगे तो इससे दोष दूर होगा और पितृ शांत होकर कृपा बरसाएंगे।

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ऐसा सोचना पूरी तरह से गलत है क्योंकि महाकुंभ में पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म, पिंडदान आदि के लिए मनाही है। शास्त्रों में उल्लेखित है कि चूंकि महाकुंभ के दौरान संगम में गिरी अमृत की बूंदे जागृत हो जाती हैं। ऐसे में श्राद्ध करना वर्जित है और अगर कोई करता है तो पितरों को मुक्ति नहीं मिलती।

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असल में इसके पीछे का कारण यह है कि अगर कोई ऐसा व्यक्ति जिसने अपने जीवनकाल में सिर्फ पाप किये हों, अगर उस व्यक्ति का श्राद्ध कर्म महाकुंभ के दौरान संगम में किया जाएगा तो इससे वह बिना अपने कर्मों के फलों को भोगे ही मुक्त हो जाएगा। इसलिए महाकुंभ में श्राद्ध करने की मनाही है।

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Image Credit - HerZindagi

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