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Jai Santoshi Maa bollywood film released in

फीमेल ऑडियन्स की वजह से हिट हुई थी यह मूवी, रखने पड़े थे 'लेडीज स्पेशल' शो

'जय संतोषी मां'  फिल्म ने उस साल रिलीज हुई 'शोले' और 'दीवार' जैसी फिल्मों को टक्कर दी थी। एक खास कारण से सिनेमाघरों को, फिल्म के 'लेडीज स्पेशल' शो तक रखने पड़े थे।
Editorial
Updated:- 2024-05-23, 12:40 IST

साल 1975 बॉलीवुड के लिए काफी अच्छा रहा था। इस साल 'शोले' और 'दीवार' जैसी सुपरहिट फिल्में रिलीज हुईं। दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार कलेक्शन किया और ऑडियन्स को भी खूब पसंद आई। लेकिन, इस साल एक और फिल्म की धूम रही। कम बजट में बनी एक माइथोलॉजिकल फिल्म, जिसने उस साल की दो सबसे बड़ी फिल्मों को टक्कर दे डाली। हम बात कर रहे हैं फिल्म 'जय संतोषी मां' की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फिल्म सिर्फ 30 लाख रुपये में बनी थी। लेकिन, फिल्म की कमाई ने सबको चौंका दिया। यहां हैरान करने वाली बात यह भी है कि फिल्म शुरुआती दिनों में कुछ खास कमाल नहीं कर पा कही थी। लेकिन, फिर किस तरह फीमेल ऑडियन्स की वजह से यह फिल्म हिट हुई और  यहां तक कि सिनेमाघरों को, फिल्म के 'लेडीज स्पेशल' शो तक रखने पड़े। चलिए, आपको बताते हैं यह दिलचस्प किस्सा।

ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी फिल्म  'जय मां संतोषी'

JAI SANTOSHI MAA  MOVIE

'जय मां संतोषी' फिल्म 1975 में रिलीज हुई थी। पहले इस फिल्म को खरीदने के लिए, डिस्ट्रीब्यूटर तक तैयार नहीं थे। हालांकि, बाद में फिल्म सुपरहिट हुई। फिल्म के शुरुआती शोज को सफलता नहीं मिली थी। यहां तक कि कुछ सिनेमाघरों में फिल्म के पहले शो में 50-100 रूपये कमाए थे। सिनेमघरों के मालिक और फिल्म के मेकर्स इसे फ्लॉप फिल्म मान चुके थे। लेकिन, तभी अचानक से फिल्म की कमाई में उछाल देखने को मिला। इसका स्पष्ट कारण किसी को समझ नहीं आया। लोगों ने इसे भगवान की मर्जी का नाम दिया।

'जय मां संतोषी' फिल्म के लिए रखे गए थे लेडीज स्पेशल शोज

JAI SANTOSHI MAA MOVIE

कुछ जगहों के सिनेमाघर में यह फिल्म 50 हफ्तों तक चली। इस फिल्म की सक्सेस में औरतों का बहुत बड़ा हाथ था। फिल्म को देखने वाली ज्यादातक फीमेल ऑडियन्स थी। इस मौके को भुनाने के लिए, कुछ सिनेमाघरों ने फिल्म के  'लेडीज स्पेशल' शोज रखे। यह शोज शनिवार को होते थे क्योंकि उस दिन बच्चो का स्कूल आधे दिन का होता था। ये शोज औरतों और बच्चों के लिए थे। कहा जाता है कि जैसे ही फिल्म शुरू होती थी,सिनेमाघर मानों मंदिर बन जाता था। औरते, स्क्रीन की तरफ सिक्के और फूल उछालती, आरती करतीं और गरबा करती थीं। यहां तक कि 'मैं तो आरती उतारूं रे संतोषी माता की' इस गीत पर तो औरते बाकायदा आरती की थाली लेकर, सिनेमाघरों में आरती तक किया करती थीं। फिल्म देखने से पहले, थियेटर के बाहर महिलाएं चप्पल उतार दिया करती थीं। ऐसे ही धीरे-धीरे यह फिल्म सुपरहिट हो गई और फिल्म ने करोड़ों का बिजनेस किया।

 

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Image Credit; IMDB 

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