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गोलकोंडा किले की है दिलचस्प कहानी, जानें इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स

यह किला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है। किला 1143 का है, जब इसे कुतुब शाही राजवंश द्वारा बनवाया गया था। ऐतिहासिक गोलकोंडा किले का नाम एक तेलुगु शब्द 'गोल्ला कोंडा' से लिया गया है जिसका अर्थ है चरवाहा। प्रारंभ में यह एक मिट्टी का किला था लेकिन बाद में कुतुब शाही राजवंश के दौरान ग्रेनाइट में बदल दिया गया। इस किले के बारे में और भी कई दिलचस्प बातें हैं जो हमें और आपको नहीं मालूम होंगी। आइए इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्यों को जानें।

Ankita Bangwal

Editorial

Updated:- 27 Aug 2021, 12:08 IST

फोर्ट के सीक्रेट टनल्स

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ऐसा माना जाता है कि इस किले में कुछ गुप्त सुरंग हैं, जो दरबार हॉल से शुरू होती है और हिल के बॉटम तक एक महल तक जाती है। कहा जाता है कि यह बचने के मार्ग के रूप में बनाई गई थी, लेकिन इसे कोई ढूंढ नहीं पाया है।

अमेरिका में तीन जगह के नाम इससे प्रेरित

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संयुक्त राज अमेरिका में गोलकोंडा नाम से ही तीन जगहों के नाम पड़े हैं- एरिजोना, इलिनोइस और नेवादा में, एरिजोना और नेवादा के माइनिंग टाउन को  गोलकोंडा टाउन के नाम से जाना जाता है। हालांकि अब एरिजोना और नेवादा के टाउन घोस्ट टाउन के नाम से जाने जाते हैं। वहीं हैदराबाद की तरह दिखने वाले इलिनोइस में सराहविले टाउन को 1817 में गोलकोंडा नाम दिया गया था।

दुनिया भर में फेमस डायमंड

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हमारा कोहिनूर जो आज ब्रिटिशर्स के पास है, वो हैदराबाद के गोलकोंडा से ही मिला था। यह भी कहा जाता है कि दुनियाभर के लोकप्रिय हीरे जैसे दरिया-ए-नूर, नूर-उल-ऐन हीरा, होप डायमंड और रीजेंट डायमंड की खुदाई गोलकुंडा की खानों में की गई थी।

सबसे ऊपर है महाकाली का मंदिर

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गोलकोंडा के सबसे ऊपर श्री जगदम्बा महा मंदिर स्थित है। राजा - इब्राहिम कुली कुतुब शाह अपनी प्रजा के बीच इतना लोकप्रिय था कि उसे हिंदुओं द्वारा मलकाभिराम कहा जाता था। यहां बोनालू उत्सव मनाने के बाद पूरे शहर में इस उत्सव को मनाया जाता है।

400 साल पुराना पेड़

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इस किले के अंदर ही एक बहुत पुराना अफ्रीकी बाओबाब पेड़ है, जो 400 साल पुराना है। कहा जाता है कि इस पेड़ को कुछ अरेबियन ट्रेडर्स ने सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह को तोहफे में दिया था। स्थानीय लोग इसे हथियां का झाड़ कहते हैं। 

 

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पहले था मिट्टी का किला

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गोलकोंडा का शाब्दिक अर्थ है चरवाहा की पहाड़ी। इसे 13वीं शताब्दी में तत्कालीन काकतीय शासकों द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि एक चरवाहा लड़के को यहां एक मूर्ति मिली थी, जिसे वह तत्कालीन शासकों के पास लाया। उन्होंने मूर्ति को बीच में रख मिट्टी के किले का निर्माण किया। हालांकि बाद में इसे ग्रेनाइट के पत्थरों से बनाया गया था।

बाला हिसार पवेलियन की खासियत

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किले में बाला हिसार पवेलियन एक जगह है, जो इस किले का सबसे ऊंचा बिंदु है और यह एंट्रेंस से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर है। अगर आप एंट्रेंस पर ताली बजाते हैं, तो आपको आवाज पवेलियन तक आती है। इतना ही नहीं अगर आप आप बात भी करते हैं, तो वह साफ आपको इस जगह पर सुनाई देगी।

फतेह दरवाजा

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गोलकोंडा किले में आठ महत्वपूर्ण द्वार हैं। उन्हीं में से एक फतोह दरवाजा है, जिससे औरंगजेब की सेना ने प्रवेश किया था। कहा जाता है कि औरंगजेब ने कुतुब शाही अधिकारी अब्दुल्ला खान पन्नी को रिश्वत देकर यह गेट खुलवाया था। यह फतेह दरवाजा 13 फीट चौड़ा और 25 फीट लंबा है।

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फेमस लाइट एंड साउंड शो

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गोलकोंडा फोर्ट हैदराबाद शहर के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यहां होने वाला लाइट एंड साउंड शो तीन-तीन भाषाओं में होता है- अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगू। इस शो में हैदराबाद के इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा। गोलकोंडा फोर्ट सुबह 9 बजे से शाम के 5.30 बजे तक खुला रहता है। फोर्ट के इस साउंड एंड लाइट शो का प्रवेश शुल्क 130 रुपये है।

 

हैदराबाद के रहस्यों से भरे इस 400 साल पुराने गोलकोंडा किला के बारे में ये बातें जानकर आपको भी हैरानी हुई होगी। अपनी वास्तुकला, पौराणिक कथाओं, और इतिहास के लिए जाने जाने वाले किले की सैर आप भी जरूर करें। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। ट्रैवल के ऐसे ही आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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