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दान हमेशा दाहिने हाथ से क्यों करना चाहिए? जानें क्या कहता है शास्त्र

शास्त्रों के अनुसार दान करना बहुत शुभ काम माना जाता है और इसके कई नियम बताए गए हैं। इन्हीं में से एक नियम है दान दाहिने हाथ से करना। आइए जानें इसके कारणों के बारे में कि दान दाहिने हाथ से ही क्यों करना चाहिए।
Editorial
Updated:- 2025-09-11, 19:50 IST

हम सभी जानते हैं कि दान करना हिंदू धर्म और शास्त्रों में सबसे श्रेष्ठ कर्म माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दान करने से न केवल जरूरतमंद की मदद होती है बल्कि दान करने वाले के सभी पाप भी धुलते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष की मानें तो दान करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। शास्त्रों और ज्योतिष में एक खास नियम यह भी है कि दान हमेशा दाहिने हाथ से ही करना चाहिए, बाएं हाथ नहीं। दान बाएं हाथ से नहीं करना चाहिए ऐसा क्यों कहा जाता है? इसके पीछे सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि गहरा धार्मिक, ज्योतिष कारण भी छिपा है। दाहिना हाथ हर काम में शुभ माना जाता है और इसे सूर्य और गुरु ग्रह से जोड़ा जाता है। दाहिना हाथ शक्ति, पवित्रता, धर्म और उदारता का प्रतीक हैं और वहीं, बायां हाथ चंद्रमा और राहु से संबंधित है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि दान हमेशा दाहिने हाथ से ही क्यों करना चाहिए।

दाहिना हाथ माना जाता है शुभ

हिंदू दर्शन में, दाहिना हाथ पवित्रता, शुभता और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह सूर्य से जुड़ा होता है, जो शक्ति, उदारता और ज्ञान का प्रतीक होता है। दान में हमेशा दाहिने हाथ का इस्तेमाल करना सम्मान, ईमानदारी और आशीर्वाद के साथ किसी पवित्र वस्तु को अर्पित करने का प्रतीक माना जाता है।दूसरी ओर, बाएं हाथ को दाहिने हाथ की तुलना में कम शुभ माना जाता है। यह मुख्य रूप से व्यक्तिगत या अशुद्ध गतिविधियों जैसे शौच, सफाई या दैनिक कार्यों से जुड़ा होता है। इसलिए, बाएं हाथ से दान करना स्वयं उस कार्य के प्रति अनादर माना जाता है और इससे प्राप्त होने वाले आध्यात्मिक पुण्य को कम करता है।

donation by right hand

दान में दाहिने हाथ का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार, दाहिना हाथ सूर्य और बृहस्पति द्वारा शासित होता है, जो समृद्धि, उदारता और धार्मिकता के प्रतीक माने जाते हैं। दाहिने हाथ से दान करने से इन ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है और नकारात्मक कर्मफलों से सुरक्षा मिलती है। इसके विपरीत, बायां हाथ चंद्रमा और राहु से प्रभावित होता है। इन ऊर्जाओं को परिवर्तनशील, अस्थिर या भौतिकवादी माना जाता है, जो दान के आध्यात्मिक मूल्य को कम कर सकते हैं।

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ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है

ज्योतिष और वैदिक विज्ञान प्राण शक्ति की अवधारणा पर बल देते हैं। ऐसे में शरीर का दाहिना भाग पिंगला नाड़ी से जुड़ा होता है, जो सौर ऊर्जा, जीवन शक्ति और बाह्य क्रियाओं का प्रतिनिधित्व करती है। जब आप दाहिने हाथ से दान करती हैं, तो आप सकारात्मक सौर ऊर्जा को बाहर की ओर प्रवाहित करती हैं, जो निस्वार्थ दान का प्रतीक माना जाता है। वहीं बायां हाथ इड़ा नाड़ी से जुड़ा होता है, जो चंद्र ऊर्जा, आंतरिक एकाग्रता और ग्रहणशीलता का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, बायां हाथ दान देने की बजाय लेने के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।

donation by right hand benefits

कर्म संतुलन बना रहता है

दान का उद्देश्य बुरे कर्मों को कम करना और अच्छे कर्मों को प्रबल करना होता है। ज्योतिष शास्त्र कहता है कि दाहिने हाथ का उपयोग धर्म की स्थापना में मदद करता है और कर्म संतुलन बनाता है। बाएं हाथ से दान करना प्रतीकात्मक रूप से स्वार्थ या अनादर का संकेत हो सकता है, जिससे कर्म लाभ कम हो जाता है। वहीं दाहिने हाथ से दान देने से कर्म संतुलित होता है।

यही नहीं ज्योतिष के साथ गरुड़ पुराण और धर्मशास्त्र में भी इस बात का उल्लेख है कि दान भक्ति, पुजा और भोजन हमेशा दाहिने हाथ से ही किया जाना चाहिए। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Images: freepik. com 

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