Why is Goddess Chhinnamasta Headless: छिन्नमस्ता देवी को शक्ति और बलिदान की देवी माना जाता है। यह माता के दस महाविद्याओं में छठी महाविद्या हैं, जो आत्म-बलिदान, ऊर्जा और परिवर्तन का प्रतीक मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इनकी उपासना करता है, वह जीवन के कठिनतम परिस्थितियों में भी अडिग और आत्मविश्वास से भरा रहता है। वे हमें सिखाती हैं कि त्याग, बलिदान और आत्म-साक्षात्कार ही सच्ची शक्ति है।
माता छिन्नमस्ता का स्वरूप काफी रहस्यमयी और चमत्कारी है, क्योंकि वे अपना ही सिर काट कर हाथ में लिए हुए रूप में है। देवी के इस अनोखे रूप के पीछे एक गहरी पौराणिक कथा और आध्यात्मिक संदेश छिपा है। आइए जानते हैं कि आखिर माता छिन्नमस्ता का सिर क्यों कटा हुआ है और धरती पर उनका यह स्वरूप कब आया। साथ ही, देवी के छिन्नमस्ता का स्वरूप के महत्व के बारे में भी जानेंगे।
माता छिन्नमस्ता का रूप अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी है। वे अपने ही कटे हुए सिर को अपने हाथ में पकड़े हुए हैं और उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित होता है। ये तीन धाराएं जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक हैं। उनके साथ दो अन्य शक्तियां दक्षिणा और वरणा होती हैं, जो शक्ति और चेतना का प्रतीक मानी जाती हैं।
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पुराणों के अनुसार, छिन्नमस्ता देवी से जुड़ी एक रोचक कथा है। एक बार माता पार्वती अपनी सखियों जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान कर रही थीं। स्नान के दौरान, देवी पार्वती के शरीर से अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न हुई और उनके चेहरे पर दिव्य तेज झलकने लगा। कुछ समय बाद, माता की सखियों ने उनसे भोजन की मांग की। देवी पार्वती मुस्कुराईं और उन्हें थोड़ा धैर्य रखने को कहा, लेकिन उनकी सखियां बहुत भूखी थीं और उन्होंने बार-बार भोजन की मांग की। अपनी सखियों की भूख को शांत करने और त्याग का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए, माता ने अपने ही त्रिशूल से अपना सिर काट दिया। जैसे ही सिर कटा, उनके शरीर से रक्त की तीन धाराएं बहने लगीं, जिसमें एक धारा जया के मुंह में गई, दूसरी धारा विजया के मुंह में गई और तीसरी धारा स्वयं देवी के कटे हुए सिर ने ग्रहण की। इस प्रकार, माता छिन्नमस्ता ने अपने ही रक्त से अपनी सखियों की भूख मिटाई और त्याग तथा बलिदान का अद्भुत संदेश दिया।
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छिन्नमस्ता देवी की साधना करने से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। आत्मविश्वास, साहस और बलिदान की भावना विकसित होती है। साथ ही, भय, अनिश्चितता और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं, छिन्नमस्ता देवी की पूजा करने से आध्यात्मिक जागरूकता और मानसिक शांति का भी एहसास होता है।
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Image credit- Wikipedia, Jagran
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