(significance of shringverpur dham) भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। यहां विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमा है। जिनकी विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपने आप स्थापित हैं और कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका निर्माण किया गया है। सभी मंदिरों की मान्यताएं भी अलग-अलग है। इन्हीं में एक श्रृंगवेरपुर धाम भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस धाम के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
श्रृंगवेरपुर धाम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में है। यह गंगा नदी के तट पर, सिंगरौर नामक कछार में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान का संबंध भगवान राम के वनवास काल के जुड़ा हुआ है। यहाँ निषादराज गुह का वही स्थान है जहाँ से उन्होंने भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को गंगा नदी पार करवाई थी। श्रृंगवेरपुर धाम एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहां भगवान राम, लक्ष्मण, सीता, निषादराज गुह और देवी शांता की प्रतिमा स्थापित हैं।
श्रृंगवेरपुर धाम का भगवान राम के जन्म से गहरा नाता है। कथा के अनुसार, श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि का आश्रम था। राजा दशरथ को जब कोई संतान नहीं थी, तो उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए श्रृंगी ऋषि से पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। इस यज्ञ में खीर बनाई थी। जिसे राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने के लिए दिया था। इसके बाद ही राजा दशरथ को प्रभु राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार पुत्र प्राप्त हुए।
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पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के लिए जा रहे थे। तब वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे। यहाँ उन्होंने गंगा नदी पार करने का निश्चय किया। उस समय गंगा नदी में बाढ़ आई हुई थी और नाव चलाना खतरनाक था। फिर एक दिन निषाद राज, जिसका नाम गुहा था।
वह नाव चलाकर लोगों को नदी पार कराता था। भगवान राम ने गुहा से गंगा पार कराने का अनुरोध किया, लेकिन गुहा ने मना कर दिया।उसका कहना था कि नदी में बाढ़ के कारण नाव चलाना संभव नहीं है। गुहा के मन में डर था कि उसकी नाव पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़ते ही कहीं स्त्री न बन जाए। क्योंकि उससे पहले राम जी ने शिला बनी अहिल्या का उद्धार किया था।
तब निषादराज ने शर्त रखी कि वे नाव में तभी तीनों को चढ़ाएंगे। जब प्रभु राम अपना चरण धोने की अनुमति देंगे। उसके बाद निषादराज ने अनुमति मिलने पर प्रभु राम के चरण धोएं और उस जल को पी लिया। उसके बाद प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण गंगा पार कर आगे बढ़े।
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ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने वाले जो लोग पुत्र की कामना लेकर आते हैं। उनकी मुराद पूरी होती है। इसी मंदिर में राजा दशरथ ने भी पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया था।
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Image Credit- HerZindagi
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