भगवान को रोजाना भोग लगाना उनकी नित्य सेवा का ही एक भाग है। भगवान को भोग लगाने से जुड़ी कई नियम भी शास्त्रों में वर्णित हैं जिनका पालन आवश्यक माना गया है। हालांकि शास्त्रों में ऐसी कई घटनाओं का उल्लेख मिलता है जब भगवान को भोग लगाने से जुड़े नियमों की अनदेखी कर भक्त ने भगवान को पूर्ण श्रद्धा से भोग पवाया हो और भगवान की कृपा दृष्टि उस भक्त पर पड़ गई हो। हां, मगर भगवान को भोग लगाने से संबंधित एक प्रश्न है जो हमेशा से उठता आया है और वो यह कि भगवान को भोग अर्पित करने से पहले भोजन को चखना चाहिए या नहीं। इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकंत वत्स ने हमें कई रोचक तथ्य बताये, आइये जानते हैं।
धार्मिक दृष्टि से, भगवान को भोग अर्पित करना एक प्रकार की सेवा और प्रेम का प्रतीक है। जब हम कोई भोजन बनाते हैं और उसे भगवान को समर्पित करते हैं, तो हमारी भावना यह होती है कि हम उन्हें सबसे उत्तम और शुद्ध चीज़ अर्पित कर रहे हैं। भोजन को पहले चखने का एक मुख्य कारण यह सुनिश्चित करना है कि वह भोग लगाने योग्य है या नहीं। इसमें यह देखना शामिल है कि भोजन साफ-सुथरा बना है, उसमें कोई कमी तो नहीं है और वह स्वाद में ठीक है।
हमारी यह इच्छा होती है कि भगवान को अर्पित किया जाने वाला भोजन हर प्रकार से उत्तम हो, ठीक उसी प्रकार जैसे हम अपने प्रिय अतिथि को सबसे अच्छा भोजन परोसना चाहते हैं। कुछ धार्मिक परंपराओं में यह भी माना जाता है कि जब हम भोजन को पहले चखते हैं, तो हम उसे अपनी श्रद्धा और प्रेम से अभिमंत्रित करते हैं। यह एक प्रकार का भावनात्मक जुड़ाव होता है, जिससे भोजन और भगवान के बीच एक संबंध स्थापित होता है। यह भाव व्यक्त करता है कि हम जो कुछ भी अर्पित कर रहे हैं, वह हमारे हृदय से आ रहा है और हम उसे पूरे मन से समर्पित कर रहे हैं।
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इसके अलावा, व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी भोजन को पहले चखना महत्वपूर्ण है। कई बार ऐसा हो सकता है कि बनाते समय अनजाने में भोजन में कोई कमी रह जाए, जैसे कि नमक या चीनी कम या ज्यादा हो जाए, या वह ठीक से पका न हो। यदि ऐसा भोजन सीधे भगवान को अर्पित कर दिया जाए, तो यह उचित नहीं माना जाता। इसलिए, पहले चखकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि भोजन स्वादिष्ट और भोग लगाने योग्य है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इस परंपरा का महत्व है। ज्योतिष में भोजन को ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, और यह हमारे ग्रहों और नक्षत्रों को भी प्रभावित करता है। जब हम भगवान को भोग लगाते हैं, तो हम एक प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। भोजन को पहले चखकर हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जो ऊर्जा हम भगवान को अर्पित कर रहे हैं, वह शुद्ध और सकारात्मक हो।
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कुछ ज्योतिषीय मान्यताएं यह भी कहती हैं कि भोजन को पहले चखने से उसमें मौजूद किसी भी नकारात्मक प्रभाव या दोष को दूर किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि हमारी इंद्रियां और हमारी भावनाएं भोजन की ऊर्जा को प्रभावित करती हैं। जब हम प्रेम और भक्ति के साथ भोजन को चखते हैं, तो यह उसे और अधिक पवित्र और भगवान के योग्य बना देता है।
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image credit: herzindagi
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