शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है और इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शनि स्तोत्र का पाठ करना शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत प्रभावशाली तरीका माना जाता है। लेकिन किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की तरह, शनि स्तोत्र का पाठ करते समय भी कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है ताकि आपको इसका पूर्ण लाभ मिल सके। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से शनिवार के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने के नियम के बारे में जानते हैं।
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शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह शनि से संबंधित सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। शनि के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव, चिंता और अशांति का अनुभव हो सकता है। शनि स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक स्थिरता आती है। शनिदेव न्याय के साथ-साथ कर्मों के अनुसार फल भी देते हैं। निष्ठापूर्वक शनि स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि आती है। रुके हुए काम बनते हैं और नए अवसरों की प्राप्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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