हिंदू धर्म में शादी की रस्मों में से एक है सगाई, जो आमतौर पर शादी के कुछ दिनों पहले होती है। वैसे तो विवाह का पूरा कार्यक्रम कई दिनों तक चलता है जिसमें रोका, गोद भराई, हल्दी, मेहंदी, सगाई से लेकर विदाई तक की सभी रस्मों को धूम-धाम से मनाया जाता है। ये सभी रस्में ही शादी के पर्व को और ज्यादा खास बनाती हैं और इनका महत्व इससे और ज्यादा बढ़ जाता है। इनमें से सगाई की रस्म को बहुत खास माना जाता है और ये एक तरह से वर और वधु को एक बंधन में बांधने का जरिया माना जाता है। भारतीय संस्कृति में विवाह का कार्यक्रम कई दिनों तक चलता है और सभी रस्में भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरे विधि-विधान के साथ की जाती हैं। इसलिए इसमें विधि-विधान के साथ पूजा और कुछ जरूरी रीति रिवाजों को किया जाता है।
मान्यता है कि सभी रस्मों की पूजा-विधि अलग होने के साथ इसमें इस्तेमाल होने वाली पूजा सामग्री भी अलग-अलग होती है जिससे किसी भी उत्सव को संवारा जाता है और ईश्वर को वह सामग्री अर्पित कर कार्यक्रम की सफलता हासिल की जाती है। ऐसे ही सगाई की रस्म में भी अलग तरह की पूजन सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। आइए आपको बताते हैं उस सामग्री के बारे में विस्तार से। अगर आपके घर में भी जल्द ही कोई शादी है तो शादी के पहले आपके लिए ये जानकारी काफी लाभप्रद हो सकती है।
क्या होती है सगाई की रस्म?
हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में विवाह से पूर्व सगाई की रस्म की होती है। इसमें वधु पक्ष के लोग वर का तिलक करते हैं और वर तथा वधू एक दूसरे को अनामिका उंगली में अंगूठी पहनाते हैं। यह इस बात का सानेट भी माना जाता है कि दोनों पक्ष अब शादी के लिए पूरी तरह से मंजूरी दे चुके हैं और यह अंगूठी पहनाने की रस्म उनके मजबूत रिश्ते में स्वीकृति की मुहर लगाती है। सगाई को अलग-अलग संस्कृतियों में अलग नाम से जाना जाता है।
कुछ जगहों पर इसे मंगनी और कुछ जगहों पर इसे रोका भी कहा जाता है। वहीं इस रस्म में होने वाले दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं, इसलिए इसे रिंग सेरेमनी नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी रस्म है जो नव वर-वधु को एक नई यात्रा पर जाने की पहल मानी जाती है। इस अनुष्ठान में सगाई की अंगूठी के साथ अन्य सामग्रियां भी शामिल होती हैं जो उसकी पूर्ति के लिए जरूरी मानी जाती हैं। आइए जानें उन सभी सामग्रियों के बारे में।
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सगाई की रस्म के लिए अंगूठी है जरूरी
सगाई के लिए कई अलग सामग्रियों का चयन करने से पहले सबसे ज्यादा जरूरी इस रस्म के लिए अंगूठी का चयन करना होता है। सगाई की अंगूठी न केवल रिश्ते की प्रतिबद्धता का प्रतीक मानी जाती है, बल्कि ये शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़े की पसंद और जीवन शैली का भी प्रमाण देती है।
इस वजह से आपको हमेशा ऐसी अंगूठी चुननी चाहिए जो दूल्हे या दुल्हन के सौंदर्य को बढ़ाने में मदद करे। साथ ही, सगाई की अंगूठी ऐसी होनी चाहिए जो किसी अच्छी धातु जैसे सोना, हीरा, प्लैटिनम या सुंदर रत्नों से जड़ित हो। इनमें से किसी भी धातु से बनी अंगूठी दूल्हे और दुल्हन के सौंदर्य को बढ़ाने में मदद करती है और उनके मजबूत रिश्ते का प्रतीक बनती है।इसे जरूर पढ़ें: सगाई की अंगूठी लड़कियां बाएं हाथ की अनामिका उंगली में ही क्यों पहनती हैं, जानें इसके कारण
सगाई की पूजा थाली कैसी होती है?
किसी भी पूजन की तरह पूजा थाली सगाई की रस्म का भी महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। इस पूजा थाली में कुमकुम, चावल, धूप और एक छोटा दीपक जैसी वस्तुएं शामिल होती हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रतिबद्धता के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक मानी जाती हैं। इस थाली में मौजूद कुमकुम और अक्षत तिलक के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं जो बड़ों का आशीर्वाद माने जाते हैं। पूजा की थाली में कुछ देवी-देवताओं की छोटी मूर्तियां भी रखी जाती हैं और कुछ सिक्के और मालाएं भी शामिल होती हैं।
सगाई की रस्म में इस्तेमाल होने वाली पूजन सामग्री (Sagai Puja Samagri List 2025)
सगाई की रस्म में आमतौर पर रोली, चावल, पीला सिंदूर,लाल सिंदूर, हल्दी, सुपारी, लौंग, इलायची, जनेऊ, इत्र, गरी का गोला, धूपबत्ती, रुई की बत्ती, देसी घी, कपूर, कलावा, चुनरी, बताशा, लाल वस्त्र, पीला वस्त्र, लकड़ी की चौकी, दोना, मिट्टी का कलश, मिट्टी का प्याला, मिट्टी का दीया, माचिस, पान के पत्ते, आम के पत्ते, मीठा पान, फल, 2 गुलाब की माला या 2 गेंदे के फूल की माला। इन सभी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही यदि सगाई के साथ गोद भराई की पूजा भी होती है तो पंडित जी को भी वस्त्र आदि दिए जाते हैं।
सगाई में उपयोग होने वाली मिठाई और प्रसाद
सगाई की रस्म पर लड़के और लड़की दोनों को वर और वधु पक्ष के लोग मिठाइयां खिलाते हैं। दोनों परिवारों के बीच विभिन्न प्रकार की पारंपरिक मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है, जिनका भी अपना अलग महत्व होता है।
सगाई में चढ़ने वाला लड्डू: यह भावी दंपति के जीवन में मधुरता का प्रतीक माना जाता है।
सगाई में चढ़ने वाली बर्फी: बर्फी पवित्रता और शुभता का प्रतिनिधित्व करती है और कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान करती है।
मिठाइयों के साथ ताजे फल और मेवे भी सगाई की रस्म की शोभा बढ़ाते हैं और कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान करते हैं। वर और वधु पक्ष से मिठाइयों का आदान प्रदान होता है और दोनों पक्ष के लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।
सगाई की रस्म को शादी के कार्यक्रम की एक बहुत खास रस्म माना जाता है और इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी कार्यक्रम की सफलता का प्रतीक होती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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