हिंदू धर्म में पितृपक्ष को ऐसी अवधि के रूप में देखा जाता है जब आपके पूर्वज किसी न किसी रूप में आस-पास मौजूद होते हैं। इस दौरान लोग अपने पितरों को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के माध्यम से याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए कई तरह के उपाय और कर्मकांड करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद मिलने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर से आरंभ हो चुका है और इसका समापन 21 सितंबर, सर्वपितृ अमावस्या के दिन से हो जाएगा। इस साल पितृपक्ष का एक विशेष योग है इसकी शुरुआत में पड़ने वाला चंद्र ग्रहण और इसके समापन अपर अमावस्या के दिन होने वाला सूर्य ग्रहण। अगर हम ज्योतिष की मानें तो यह एक दुर्लभ घटना है और इसका प्रभाव राशियों पर भी पड़ सकता है। लगभग 100 साल बाद ऐसा योग बन रहा है जिसमें चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण पितृपक्ष की अवधि में एक साथ पड़ रहे हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि इन दोनों ग्रहणों का किन राशियों पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है और इससे किसे संकट का सामना करना पड़ सकता है।
पितृपक्ष में पहला चंद्रग्रहण 7 सितंबर 2025, भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितृपक्ष के आरंभ के साथ ही पड़ रहा है। यह वैसे तो आंशिक चंद्रग्रहण है, लेकिन इसका प्रभाव हमारे देश में भी पड़ रहा है। वहीं दूसरा ग्रहण पितृपक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ेगा। वैसे यह ग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा, लेकिन इसका असर आपको राशियों में जरूर दिखाई देगा। पितृपक्ष के पहले और आखिरी दिन ही चंद्र और सूर्य ग्रहण का होना वास्तव में विशेष संयोग ही है। आइए जानें ये किन राशियों के लिए नकारात्मक हो सकता है।
मिथुन राशि के जातकों के लिए पितृपक्ष से समय चुनौतियों भरा हो सकता है। इस अवधि के दोनों ग्रहण आपके जीवन में नकारात्मक संयोग ला सकते हैं। यह दोनों ही ग्रहण आपके रिश्तों और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं और आपके परिवार के लोगों के साथ मनमुटाव हो सकते हैं।
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इस दौरान परिजनों से मतभेद हो सकते हैं। अगर हम वर्कप्लेस की बात करें तो इस दौरान आपको सहकर्मियों का सहयोग नहीं मिलेगा, जिससे आपको कुछ काम करने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ग्रहण के किसी भी बुरे प्रभाव को कम करने के लिए पितृपक्ष की पूरी अवधि में पूर्वजों के नाम से तर्पण करने की सलाह दी जाती है।
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कन्या राशि वालों पर पितृपक्ष के दोनों ग्रहण सेहत से जुड़ी समस्याएं ला सकते हैं। इस दौरान आपको हड्डियों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और पाचन से जुड़ी परेशानी भी झेलनी पड़ सकती है। आपको ग्रहण के प्रभाव से कुछ मानसिक तनावों का सामना भी करना पड़ सकता है। किसी भी समस्या को दूर करने के लिए आप पूर्वजों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करें और इस दौरान कोई भी बड़ा निर्णय भूलकर भी न लें। अगर आप निवेश करने के बारे में सोच रही हैं तो आपको इंतजार करने की जरूरत है।
मकर राशि के जातकों के लिए यह समय करियर और आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव के लिए नकारात्मक हो सकता है। पितृपक्ष की शुरुआत में पड़ने वाला चंद्र ग्रहण आपके वर्कप्लेस में कुछ समस्याएं ला सकता है, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। वहीं जब बात अमावस्या के सूर्यग्रहण की करें तो यह आपके पारिवारिक जीवन में कुछ समस्याओं का कारण बन सकता है। इन दोनों ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए पूर्वजों का श्राद्ध करें और उनके निमित्त तर्पण कर्म करें।
अगर आपकी राशि भी इनमें से है तो पितृपक्ष के दोनों ग्रहण आपके लिए समस्याओं से भरे हो सकते हैं। किसी भी समस्या से बाहर निकलने के लिए आपको पितरों का श्राद्ध कर्म नियम से करना चाहिए।
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