Pitru Paksha Shradh Kab Hai 2023: सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष (कनागत) के दिन स्नान-ध्यान, श्राद्ध, तर्पण करने से व्यक्ति को पितरों के आशीर्वाद की प्राप्ति हो सकती है।
पितृपक्ष की अवधि में पितर अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। अब ऐसे में इस साल पितृ पक्ष कब से शुरू हो रहा है। पिंडदान की तिथि क्या है और सामग्री लिस्ट क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी विस्तार से बताएंगे।
जानें कब से शुरू हो रहा पितृ पक्ष (Pitru Paksha Kab Hai 2023)
हिंदू पंचांग के हिसाब से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि दिनांक 29 सितंबर दिन शुक्रवार को पितृपक्ष (कनागत) का शुभारंभ हो जाएगा। साथ ही इसका समापन दिनांक 14 अक्टूबर दिन शनिवार को अमावस्या तिथि के दिन हो रहा है। वहीं विक्रम संवत 2080 के हिसाब से पितृ पक्ष की शुरूआत 15 दिन देरी से हो रहा है। ऐसा अधिक मास के कारण हुआ है।
जानें श्राद्ध पक्ष की तिथि (Pitru Paksha Shubh Tithi)
- पूर्णिमा श्राद्ध- दिनांक 29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार को है।
- द्वितीया श्राद्ध - दिनांक 30 सितंबर 2023 दिन शनिवार को है।
- तृतीया श्राद्ध - दिनांक 01 अक्टूबर 2023 दिन को रविवार को है।
- चतुर्थी श्राद्ध - दिनांक 02 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को है।
- पंचमी श्राद्ध - दिनांक 03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को है।
- षष्ठी श्राद्ध - दिनांक 04 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार को है।
- सप्तमी श्राद्ध - दिनांक 05 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार को है।
- अष्टमी श्राद्ध - दिनांक 06 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को है।
- नवमी श्राद्ध - दिनांक 07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को है।
- दशमी श्राद्ध - दिनांजक 08 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को है।
- एकादशी श्राद्ध - दिनांक 09 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को है।
- द्वादशी श्राद्ध - दिनांक 11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार को है।
- त्रयोदशी श्राद्ध - दिनांक 12 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार (गुरुवार मंत्र)को है।
- चतुर्दशी श्राद्ध - दिनांक 13 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को है।
- सर्व पितृ अमावस्या - दिनांक 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को है।
जानें क्या है पिंडदान की विधि (Pinddaan Vidhi Kya Hai)
पिंडदान या श्राद्ध कर्म करते समय सफेद वस्त्र ही पहनना चाहिए । साथ ही जौ के आटे (आटे के उपाय) से पिंड बनाकर चावल, कच्चा सूत, फूल माला , अगरबत्ती, दही से पिंडदान का पूजन करें। पिंडदान करने के बाद पितरों का अराधना करें। इसके बाद पिंड को उठाकर जल में प्रवाहित करें। इस बात का ध्यान रखें कि श्राद्ध हमेशआ दोपहर के समय ही करना चाहिए।
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जानें श्राद्ध करने की पूजा सामग्री (Shradh Puja Samagri)
श्राद्ध के दौरान रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, कपूर, हल्दी, देसी घी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, माचिस, शहद, काला तिल, जौ, हवन सामग्री, रुई बत्ती, अगरबत्ती, गुड़, मिट्टी का दीया, दही, जौ का आटा, गाय का दूध, घी, खीर, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना आदि पहले से एकत्रित कर लें। श्राद्ध के समय कुछ भी न खरीदें।
पितृपक्ष (कनागत) कब से शुरू हो रहा है और श्राद्ध कर्म की विधि और पूजन सामग्री क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानें और अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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