नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है, जो युद्ध की देवी मानी जाती हैं। उनकी कृपा से सभी प्रकार के विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं। ऐसे में, नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा किस विधि से की जाए, पूजन सामग्री क्या होनी चाहिए, तथा उनकी पूजा में किन मंत्रों का जाप करना लाभकारी रहेगा? साथ ही, उनकी आरती के महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी का शुभ रंग
मां कात्यायनी का प्रिय रंग हरा है. नवरात्रि के छठे दिन हरे रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. हरा रंग बुद्ध ग्रह का प्रतीक माना जाता है, जो विद्या, बुद्धि, संचार और सौभाग्य का कारक है। इस दिन हरे रंग के वस्त्र पहनने से व्यक्ति की मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है। यह रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और जीवन में समृद्धि व उन्नति लाने में सहायक होता है। साथ ही, मां कात्यायनी की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से समस्त बाधाओं को दूर करने के लिए हरे रंग का विशेष महत्व है। यह रंग सेहत, संतुलन और आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है, जिससे साधक का मन शांत और स्थिर बना रहता है।
नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा विधि
मां कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा स्वरूप हैं और वे शक्ति, ऊर्जा और दृढ़ता की प्रतीक मानी जाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें। मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र को एक पवित्र स्थान पर स्थापित करें। एक कलश में जल, रोली, चावल, सिक्के, मौली, दूर्वा, आम के पत्ते, कुमकुम और गंगाजल डालकर उसे पूजा स्थान पर रखें।
पूजा के लिए फूल, फल, दीपक, धूप, कुमकुम, रोली, चंदन और नैवेद्य तैयार रखें। मां कात्यायनी को अपने मन में श्रद्धा से आमंत्रित करें और उन्हें जल, पुष्प, फल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। मां के चरणों में चावल अर्पित करें और उनके माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। इसके बाद मां को प्रसाद अर्पित करें और विधिपूर्वक उनके मंत्रों का जाप करें। अंत में मां कात्यायनी की आरती गाकर पूजा संपन्न करें।
नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी के मंत्र
मां कात्यायनी की पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मंत्र जाप करते समय मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए तथा मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना आवश्यक है। मां कात्यायनी की कृपा प्राप्ति के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें: 'ॐ कात्यायनी महामाये महायोगेश्वरी नमः।', 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः।', 'ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।'
साथ ही, इस श्लोक का जाप भी विशेष लाभकारी होता है: 'चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥'। इन मंत्रों के जाप से मां कात्यायनी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे साधक के जीवन से समस्त विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और शक्ति, साहस व सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरात्रि का छठा दिन: मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यायनी।जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है।यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी।कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते।हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की।ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली।अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए।ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी।भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे।कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
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