आज सावन मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। मंगला गौरी का यह व्रत मां पार्वती एक रूप मंगला गौरी को समर्पित है। मंगला गौरी व्रत कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं रखती हैं। इस व्रत में हम आप एक स्तोत्र पाठ के बारे में बताएंगे, यह स्तोत्र मां मंगला गौरी को समर्पित है। इस स्तोत्र के पाठ से मां मंगला गौरी प्रसन्न होती हैं, एवं पाठ करने वाले भक्त की सभी मनोकामना को पूरी करती है। इस स्तोत्र के बारे में हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक ने बताया है, चलिए जानते हैं इस स्तोत्र और इसे पढ़ने के लाभ के बारे में।
रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥
हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥
पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥
मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥
देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे॥
तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥
मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।
इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं
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