महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत इस वर्ष 31 अगस्त 2025 से हो चुकी है और आज, 5 सितंबर को इस पावन व्रत का पहला शुक्रवार पड़ रहा है। शुक्रवार का दिन वैसे भी देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है, लेकिन महालक्ष्मी व्रत के दौरान आने वाले शुक्रवारों का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। कई महिलाएं पूरे 16 दिन का व्रत नहीं रख पातीं, लेकिन वे इस दौरान पड़ने वाले सभी शुक्रवारों का व्रत अवश्य करती हैं।
इस बार यह व्रत 14 सितंबर 2025 तक चलेगा और 5 सितंबर का शुक्रवार देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस दिन केवल मां लक्ष्मी की पूजा ही नहीं होती, बल्कि चंद्रमा को अर्घ्य देना भी बेहद फलदायी माना गया है। मान्यता है कि शुक्रवार को महालक्ष्मी का व्रत रखने वाली महिलाएं चंद्रमा को सही मुहूर्त में अर्घ्य देती हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इसी विशेष जानकारी को लेकर हमने उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा से बात की, जिन्होंने बताया कि 5 सितंबर को चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ समय क्या है और कैसे इसका पालन करने से व्रती को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
चंद्रमा के उदय होने और उसे अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
- चंद्रमा के उदय होने का समय : इस वर्ष महालक्ष्मी व्रत के पहले शुक्रवार, 5 सितंबर 2025 को चंद्रमा शाम 5:12 से 5:17 के बीच उदित होगा।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय : रात 9:21 से 9:45 के बीच चंद्रमा को अर्घ्य देना सबसे शुभ माना गया है। इस मुहूर्त में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

चंद्रमा को अर्घ्य देने के नियम और सही विधि
हिंदू धर्म में चंद्रमा को अर्घ्य देना एक पवित्र कार्य माना गया है। विशेष रूप से महिलाएं महालक्ष्मी व्रत में उपवास के दौरान चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं। यदि अर्घ्य सही विधि और श्रद्धा से दिया जाए, तो यह शुभ फल देता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चलिए पंडित जी से जानें चंद्रमा को अर्घ्य देने के सही नियम और विधि:
- अर्घ्य देने से पहले विधि-विधान से महालक्ष्मी की पजा कर लें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए थाली में जल, चावल, फूल, रोली, दूध, शहद और मिश्री रखें।
- जो जल चंदमा को अर्घ्य देने के लिए रखा है उसमें चावल, फूल और दूध मिलाएं।
- चंद्रमा के दर्शन करते हुए "ॐ चंद्राय नमः" मंत्र का जाप करें। यह जाप कम से कम 11 बाज जरूर करें।
- दोनों हाथों से जल को ऊपर उठाकर चंद्रमा की ओर देखे बिना और धीरे-धीरे अर्घ्य अर्पित करें।
- चंद्रदेव से मनोकामना पूर्ति, सौभाग्य, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने की कामना करें।
- अर्घ्य देते वक्त मन को एकाग्र रखें और श्रद्धा से पूजन करें।

महालक्ष्मी व्रत के पहले शुक्रवार पर, ऊपर बताए गए शुभ समय और विधियों के अनुसार चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत को पूर्ण करें। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। धर्म और आस्था से जुड़ी ऐसी ही रोचक जानकारियों के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
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